मुफ्त की चीजें चाहिए या बेहतर सुविधाएं, यह लोग ही तय करें : पनगढ़िया | Sanmarg

मुफ्त की चीजें चाहिए या बेहतर सुविधाएं, यह लोग ही तय करें : पनगढ़िया

पणजी : अर्थशास्त्री और 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने गुरुवार को कहा कि लोगों को यह तय करना है कि उन्हें मुफ्त की चीजें चाहिए या फिर वे बेहतर सड़कें, अच्छी जल निकासी व्यवस्था और बेहतर जलापूर्ति की सुविधा चाहते हैं। वे यहां आयोग के प्रतिनिधिमंडल और गोवा के शीर्ष मंत्रियों और अधिकारियों के बीच एक बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में यह बात कही। राज्यों के बुनियादी ढांचे के लिए आवंटित धन का कथित तौर पर मुफ्त चीजें बांटने के लिए उपयोग किए जाने के बारे में पनगढ़िया ने कहा कि यदि पैसा परियोजनाओं के लिए दिया गया है तो इसका उपयोग उन कार्यों के लिए ही किया जाना चाहिए। हालांकि, लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार ही अंतिम निर्णय करती है।
पनगढ़िया ने कहा कि निर्णय वित्त आयोग नहीं करता है, वह वृहद आर्थिक स्थिरता के हित में इस मुद्दे को उठा सकता है। आयोग सामान्य स्तर पर कुछ कह सकता है लेकिन यह नियंत्रित नहीं कर सकता कि राज्य राशि कैसे खर्च करें। जिम्मेदारी अंतत: नागरिकों पर है क्योंकि वे सरकारें चुनते हैं। अगर नागरिक मुफ्त सुविधाओं पर आधारित सरकार के लिए वोट करते हैं तो वे मुफ्त चीजें मांगेंगे। अंतत:, नागरिकों को ही यह तय करना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं। वे बेहतर सुविधाएं, बेहतर सड़कें, बेहतर जल निकासी सुविधा, बेहतर पानी चाहते हैं या फिर मुफ्त की चीजें, जिसमें आपके बैंक खातों में राशि का अंतरण भी शामिल है।
आयोग के सदस्यों के साथ बैठक के दौरान, गोवा के अधिकारियों ने केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के तहत तटीय राज्य के हिस्से को चार गुना बढ़ाने की मांग की। बैठक में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और कई मंत्री शामिल हुए। पनगढ़िया ने कहा कि गोवा ने सुझाव दिया कि राज्यों को केंद्र की हिस्सेदारी 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जानी चाहिए। गोवा 15वां राज्य है, जिसका हम दौरा कर रहे हैं। 15 में से 14 राज्यों ने कहा है कि हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जानी चाहिए, जबकि एक राज्य ने सुझाव दिया है कि यह 45 प्रतिशत होनी चाहिए।

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