नयी दिल्ली : हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट से बड़ा ‘झटका’ लगा है। हाई कोर्ट ने दिल्ली स्थित ‘हिमाचल भवन’ को कुर्क करने का निर्णय सुनाया है। यह फैसला सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा दर्ज अनुपालना याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया गया है।
हाई कोर्ट ने निर्णय दिया है कि कंपनी को अपनी बकाया राशि वसूलने के लिए हिमाचल भवन को नीलाम करने की अनुमति दी जाएगी। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने यह फैसला 64 करोड़ रुपये की बकाया राशि को लेकर दिया है। दरअसल, यह राशि कंपनी को ब्याज सहित हिमाचल के ऊर्जा विभाग से मिलनी थी, जो अब तक नहीं चुकाई गयी है। हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव को आदेश दिया है कि वेयह तथ्यात्मक जांच करें कि किन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह राशि अभी तक जमा नहीं की गयी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि दोषी अधिकारियों से इस ब्याज की रकम व्यक्तिगत तौर पर वसूलने का आदेश दिया जाएगा।
हाई कोर्ट ने मामले की जांच के लिए 15 दिनों की समय सीमा तय की है तथा आगामी सुनवाई के लिए 6 दिसंबर 2024 तारीख तय की है। कोर्ट ने हिमाचल सरकार को स्पष्ट जानकारी देने को कहा है कि किस कारण बकाया राशि का भुगतान अब तक नहीं हुआ है, जबकि इसे कई साल पहले ही चुकाया जाना चाहिए था। यह मामला सन् 2009 से जुड़ा है, जब हिमाचल प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड को लाहौल स्पीति में 320 मेगावाट की बिजली परियोजना का आवंटन किया था। इसके तहत कंपनी को बीआरओ द्वारा सड़क निर्माण कार्य उपलब्ध कराया गया था। हिमाचल सरकार ने समझौते के तहत कंपनी को जरूरी बुनियादी सुविधाएं देनेका वादा किया था, ताकि परियोजना समय पर पूरी की जा सके। हालांकि, बाद में कई विवादों के कारण कंपनी ने 2017 में हाई कोर्ट में याचिका दर्ज की थी, जिसके बाद यह मामला कानूनी दांव-पेचों में उलझ गया था। कंपनी का आरोप है कि हिमाचल सरकार इस संयंत्र के लिए बुनियादी सुविधाएं देने में नाकामयाब रहीं।