धनखड़ को बर्खास्त करने का विपक्ष का सपना चूर-चूर | Sanmarg

धनखड़ को बर्खास्त करने का विपक्ष का सपना चूर-चूर

उपसभापति ने खारिज किया विपक्षी दलों का अविश्वास प्रस्ताव

नई दिल्लीः कांग्रेस द्वारा राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस द्वारा लाया गया था। कांग्रेस ने उनपर आरोप लगाया था कि वो सदन में पक्षपात करते हैं। इस प्रस्ताव को उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने खारिज कर दिया है। सदन में अब उसे पेश नहीं किया जा सकता। विपक्ष के आरोप को उपसभापति हरिवंश नारायण ने खारिज करते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव में कोई तथ्य नहीं है, विपक्ष का उद्देश्य केवल प्रचार हासिल करना है। विपक्ष ने जानबूझकर सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया था, ऐसा करने का सीधा मतलब उपराष्ट्रपति के पद का अपमान करना है।

क्या है अविश्वास प्रस्ताव?

अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष की ओर से सरकार के खिलाफ लाया जाता हैइस प्रस्ताव को लाने के लिए लाेकसभा या विधानसभा के अध्यक्ष को 14 दिन पहले लिखित सूचना देनी होती है। आप मंजूरी के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव को पेश कर सकते हैं। नोटिस को मंजूरी मिलने के बाद 10 दिन के अंदर सदन में नोटिस पर मत विभाजन का प्रवधान है। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने चूंकि अचानक यह प्रस्ताव दिया था और 14 दिन के नियम का पालन नहीं किया था, इस कारण उनका प्रस्ताव खारिज कर दिया गया।

क्या कहा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने?

उपसभापति हरिवंश नारायण ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 67बी में उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया का जिक्र है। उपराष्ट्रपति के खिलाफ राज्यसभा में प्रस्ताव लाया जाता है और यह बहुमत से पारित होता है, उसके बाद ही उसे लोकसभा में पेश किया जाता है। इस समय राज्यसभा में कुल 231 सदस्य हैं। अगर विपक्ष को प्रस्ताव पारित करवाना है, तो उसे 116 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। राज्यसभा में कांग्रेस के 27, तृणमूल कांग्रेस के 12, आम आदमी पार्टी के 10, समाजवादी पार्टी के 4, डीएमके के 10 और राष्ट्रीय जनता दल के 5 सदस्य हैं। इसके अलावा कुछ अन्य दलों के भी सांसद हैं, जिन्हें मिलाकर भी विपक्षी ब्लॉक के पास 85 सदस्य होंगे। यहां तक कि नोटिस को जल्दबाजी में बनाया गया है जिससे उपराष्ट्रपति की प्रतिष्ठा को खराब किया जा सके। ऐसे में इस प्रस्ताव को मंजूरी देना संभव नहीं है।

यह थे विपक्षी दलों के आरोप

विपक्षी दलों के आरोप थे कि जगदीप धनखड़ राज्यसभा के सभापति के पद पर होते हैं तो विपक्षी दलों के साथ भेदभाव करते हैं। वे किसी मामले को उठाने के लिए बार-बार नोटिस देते हैं, लेकिन धनखड़ वह विषय उठाने ही नहीं देते। दरअसल, विपक्षी दल अडाणी मामला उठाने के लिए नियम 267 के तहत बार-बार राज्यसभा में नोटिस देते रहे, किन्तु उसकी तय प्रक्रिया का पालन न होने के कारण धनखड़ हर बार उन नोटिसों को खारिज कर देते थे। धनखड़ उस समय भी चर्चा में रहे जब उन्होंने सत्ता पक्ष के सांसदों के नियम 267 के तहत दिए गए नोटिसों को भी खारिज कर दिया था। इससे स्पष्ट है कि विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं।

 

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