कोलकाता : 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ मां कामाख्या मंदिर है। इसमें हर साल अंबुबाची मेला बड़े ही धूमधाम से लगता है। इस बार अंबुबाची मेला 22 जून 2024 से लगेगा। इसमें देश भर से लाखों श्रद्धालु, साधु संत और तांत्रिक आते हैं। अंबुबाची मेला साल में सिर्फ एक बार लगता है। यह मेला हर साल मानसून के दौरान लगता है। जून के बीच में जब सूर्य मिथनु राशि में प्रवेश करता है और ब्रह्मपुत्र नदी उफान पर होती है। उसी समय कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेला लगता है। इस बार मेले को देखते हुए 21 जून से अगले 10 दिनों के लिए मंदिर में वीआईपी दर्शनों पर रोक लगा दी गई है। दरअसल, कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेले की शुरुआत मंदिर के कपाट बंद करने से होती है और मेले के आखिरी दिन मां को स्नान और भोग लगाने के बाद ही मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। इसी के बाद माता का रजस्वला स्वरूप सामने आता है। इसमें उनके बहते रक्त से पूरी ब्रह्मपुत्र नदी का रंग लाल हो जाता है। इस बीच श्रद्धालुओं से लेकर साधु और संतों की भारी भीड़ जमा होती है। इसकी तैयारी काफी समय पहले से शुरू हो जाती है। हालांकि तीन दिनों में किसी भी पुरुष को एंट्री नहीं दी जाती है।
वीआईपी दर्शनों पर लगी रोक
कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेले को देखते हुए वीआईपी दर्शनों पर रोक लगा दी है। यह रोक 21 जून से 30 जून 2024 तक रहेगी। इस बीच मंदिर में माता के दर्शन के लिए किसी को भी वीआईपी पास नहीं मिलेंगे। सभी श्रद्धालुओं को भक्तों की भारी भीड़ के बीच से निकलते हुए ही माता रानी के दर्शन करने होंगे। 30 जून तक मंदिर में दर्शन के लिए कोई पास नहीं चलेगा।
प्रतिबंधित होती हैं ये चीजें
कहा जाता है कि इन दिनों मां कामाख्या देवी मासिक धर्म के चलते विश्राम करती हैं। ऐसे में भक्तों को अंदर जाकर दर्शन करने की अनुमति नहीं मिलती। इसके अलावा पूजा करने से लेकर खाना बनाने, पवित्र पुस्तकें पढ़ने और खेती करना प्रतिबंधित होता है। कामख्या मंदिर माता कामाख्या साक्षात निवास करती हैं।