ढाका : बांग्लादेश में अपनी मांगों को लेकर सजग हुए हिन्दुओं के आंदोलन को दबाने के लिए देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने नया हथकंड अपनाया है। बांग्लादेश के वित्तीय अधिकारियों ने इस्कॉन के पूर्व सदस्य चिन्मय कृष्ण दास सहित इस धार्मिक संस्था से संबद्ध 17 लोगों के बैंक खातों से लेन-देन पर 30 दिन के लिए रोक लगाने का आदेश दिया है। दास को कथित रूप से राजद्रोह के आरोप में इस हफ्ते की शुरूआत में गिरफ्तार कर लिया गया था।
22 प्रतिशत से 8 प्रतिशत पहुंची हिन्दू आबादी : बांग्लादेश में अक्टूबर महीने में छात्र आंदोलन के नाम पर शेख हसीना सरकार का तख्त पलट होने के बाद देश में हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान देश की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी करीब 22 प्रतिशत थी, अब यह लगभग 8 प्रतिशत रह गई है।
30 अक्टूबर को राजद्रोह का केस : जानकारी हो कि दास सहित 19 लोगों के खिलाफ 30 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली पुलिस थाने में राजद्रोह का एक मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन पर चटगांव के न्यू मार्केट इलाके में हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्र ध्वज का असम्मान करने का आरोप लगाया गया है।
बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण ज्योत के प्रवक्ता दास को राजद्रोह के आरोप में सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें मंगलवार को चटगांव की एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया और जेल भेज दिया, जिसके चलते उनके समर्थकों ने प्रदर्शन किया था। मंगलवार को, नयी दिल्ली ने हिंदू नेता की गिरफ्तारी और जमानत से इनकार किये जाने को लेकर चिंता जताई थी। तथा बांग्लादेश से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था।
हसीना ने की हिन्दू नेता की रिहाई की मांग : बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी इस हिंदू नेता की रिहाई की मांग की है। उन्होंने दास की गिरफ्तारी को लेकर हुए प्रदर्शन में एक वकील के मारे जाने की घटना की निंदा की। इस्कॉन बांग्लादेश ने इसे वकील के मारे जाने की घटना से जोड़े जाने के आरोपों का खंडन किया और कहा कि दावे निराधार हैं और एक दुर्भावनापूर्ण अभियान का हिस्सा हैं। अटार्नी जनरल के कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि बांग्लादेश में इस्कॉन की गतिविधियों पर पाबंदी लगाने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की पीठ ने यह भी कहा कि स्थिति इस वक्त (उच्च) न्यायालय के हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देती क्योंकि सरकार अपना काम बखूबी कर रही है। पीठ ने उम्मीद जताई कि सरकार कानून व्यवस्था बनाये रखने और बांग्लादेश में जान माल की सुरक्षा करने के लिए सजग है।