अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में स्थित गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में कंसलटेंट प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर हेमंत सरैया ने 175वीं बार ब्लड डोनेट किया है। डॉक्टर सरैया ने पहली बार 18 साल की उम्र में ब्लड डोनेट किया था। अब उनकी उम्र 62 साल की हो चुकी है। निजी मीडिया से बात करते हुए डॉक्टर सरैया ने कहा कि 1978 में जब सूरत में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की थी, तब मुझे अपना ब्लड ग्रुप AB+ होने की जानकारी हुई थी। उस वक्त कॉलेज के एक कर्मी को AB+ ब्लड की जरूरत थी। मुझे पता चलने पर ब्लड डोनेट करने गया था।
डॉक्टर ने कहा कि तब मेरा वजन मात्र 42 किलोग्राम था और उम्र पूरी 18 साल नहीं थी। डॉक्टर सरैया ने कहा कि उस वक्त ब्लड डोनेशन के लिए लोगों में जागरूकता नहीं थी। लोग ब्लड डोनेट करने से डरते भी थे। ऐसे में मरीज का जीवन बचाने के लिए तब मेरा ब्लड लिया गया था और मरीज का जीवन बचाया जा सका था। उसके कुछ महीनों बाद फिर ऐसा ही वाकया हुआ था और तब भी मैंने ब्लड डोनेट किया था, जिसके बाद से लगातार ब्लड डोनेट करने की प्रेरणा मिली।
पिछले 20 साल से जीसीआरआई में ब्लड डोनेशन
डॉक्टर हेमंत सरैया कहते हैं कि 175वीं बार ब्लड डोनेट करने वाले वह दुनिया के पहले प्लास्टिक सर्जन हैं। जब तक तंदुरुस्त रहेंगे, वह ब्लड डोनेट करते रहेंगे। शुरू में डॉक्टर हेमंत ने अलग-अलग ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट किया, लेकिन साल 2004 से यानी पिछले 20 साल से वे गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में बतौर कंसलटेंट सर्जन के तौर पर जुड़े और कैंसर के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। तब से जीसीआरआई में ही ब्लड डोनेट करते रहे हैं। अब तक 80 से अधिक बार वे जीसीआरआई में ही ब्लड डोनेट कर चुके हैं।
परिवार में से भाई, पत्नी, बेटा साले ने प्रेरित होकर किया है ब्लड डोनेट
डॉक्टर हेमंत सरैया कहते है कि, उनसे प्रेरित होकर उनके परिवार के कई सदस्यों ने ब्लड डोनेट करने की शुरुआत की है। डॉक्टर सरैया के छोटे भाई ने अब तक 50 से अधिक बार, उनकी पत्नी और बेटे ने 20 से अधिक बार तो बड़े साले ने भी 100 से अधिक बार ब्लड डोनेट किया है। डॉक्टर सरैया कहते हैं कि लोग ब्लड डोनेट करने से डरते हैं और कहते हैं कि कमजोरी आ जाती है, लेकिन मेरा अनुभव रहा है कि ऐसा कुछ नहीं होता। हर बार ब्लड डोनेट करके मैंने काम किया है. बतौर डॉक्टर ऑपरेशन करता हूं और दिन में 12 घंटे तक काम करता रहता हूं.
हर कोई जीवन में 25 बार ब्लड डोनेट करे : डॉक्टर सरैया
डॉक्टर हेमंत कहते हैं कि एक यूनिट ब्लड डोनेट करने से तीन मरीजों की मदद हो जाती है तो हर कोई 18 साल की उम्र से ब्लड डोनेट करे और कोशिश करे कि जीवनकाल में 25 बार ब्लड डोनेट हो पाए। ब्लड डोनेट करने से कैंसर समेत कई जरूरतमंद लोगों को मदद हो पाती है। एक रिसर्च के मुताबिक, ब्लड डोनेट करने वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा बहुत कम हो जाता है।