Durga Puja 2023 : बारिश के कारण कुम्हारटोली की रफ्तार पर लगा ब्रेक ! | Sanmarg

Durga Puja 2023 : बारिश के कारण कुम्हारटोली की रफ्तार पर लगा ब्रेक !

– आगामी कुछ दिनों तक लगातार होगी बारिश
कोलकाता : दुर्गा पूजा आने में अब महज 35 दिनों का समय बाकी है। इसी बीच कोलकाता में हो रही बारिश के कारण कुम्हारटोली के मूर्तिकारों के माथे पर शिकन आ गई है। बारिश के कारण बादल और सूरज आंख-मिचौली खेल रहे हैं। नतीजतन, अब मूर्तिकार इस बात को लेकर परेशान हैं कि आखिर ऐसी स्थिति में मूर्तियों को अंतिम रूप देकर आखिर पंडाल में कैसे भेजा जाएगा।
अभी जारी रहेगी बारिश
ओडिशा तट से सटे बंगाल की खाड़ी में चक्रवात और निम्न दबाव के कारण कोलकाता समेत दक्षिण बंगाल के कई जिलों में बारिश शुरू हो गई है। गुरुवार सुबह से बारिश की तीव्रता भी कई गुना बढ़ गई है। मौसम विभाग अगले कुछ दिनों तक मौसम में किसी बड़े बदलाव की संभावना नहीं बता रहा है। ऐसे में महालया से एक महीने पहले मौसम में हुए इस बदलाव ने मूर्ति कलाकारों को चिंता में डाल दिया है। दिन-रात मेहनत करने के बजाय नई मिट्टी से बनी मूर्ति को बारिश से बचाने के लिए मूर्तिकारों को प्लास्टिक से ढकने की जद्दोजहद करनी पड़ती है।
मूर्तियों को बार्रिश से बचाने की जद्दोजहद जारी
इसी बीच जब कुम्हारटोली का दौरा किया गया तो देखा गया कि बड़ी से लेकर छोटी-छोटी मूर्तियों की कतारें लगभग प्लास्टिक से ढकी हुई थीं। हालांकि कलाकार वहां मौजूद तो हैं थे पर वे इतने व्यस्त ना दिखें जितना उन्हें होना चाहिए था। अपने कमरे के छत को बारिश से ढकते हुए मूर्तिकार कुम्हार बिप्लब पाल ने कहा, ”कायदे से देखा जाए तो अभी तो हमारे पास खाने-पीने का भी समय नहीं होना चाहिए लेकिन परिस्थिति ऐसी है कि हम मूर्तियों को बारिश से बचाने के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं। महालया से पहले ही मूर्तियों को पंडालों में जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है लेकिन जैसी परिस्‍थति दिख रही है हम वही सोच-योचकर परेशान हो रहे हैं कि आखिर हम प्रतिमाओं को आखिर कैसे समय पर पंडाल में पहुंचा सकेंगे।” कुम्हारटोली के कलाकारों का कहना है कि एक बड़ी मूर्ति की मिट्टी को सूखने में 10-15 दिनों का समय लग जाता है।
अभी तो प्रतिमाओं की मिट्टी सूखी भी नहीं
उसके बाद बारी आती है रंग-रोगन, सजावट की। लेकिन अगर लगातार बारिश होती रहे तो मूर्ति पर लगी मिट्टी सूखने में एक हफ्ते से ज्यादा का समय लग जाता है। यदि आपको बहुत अधिक धूप नहीं मिलती है, तो मिट्टी हर जगह सूखती नहीं है और गीली रह जाती है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण कलाकारों को काम आगे बढ़ाने में मशक्कत करनी पड़ रही है। कुम्हार बाबून पाल ने अपनी बनाई मूर्ति पर हाथ लगाया और दिखाया कि देखो कैसे मूर्ति की मिट्टी गीली है और इसलिए मेरी उंगली मूर्ति के भीतर घुस जा रही है। पांच दिन से यही हाल है। ब्लू-लैंप के साथ भी काम नहीं हो पा रहा है। आखिर हम काम को आगे कैसे बढ़ाएं!” मूर्तिकार मोंटू पाल कहते हैं, ”मौसम को देखते हुए मैं जल्द से जल्द मुर्शिदाबाद से कुछ मजदूरों को लाने की कोशिश कर रहा हूं। ऐसे में मुझे समय मिलते ही दिन-रात काम करना होगा।’ अन्यथा, मैं महालया में मूर्ति भेजने की स्थिति में नहीं रहूंगा।”
परसों ही विश्वकर्मा पूजा, फिर है गणेश पूजा
मौसम के अलावा, इस साल एक के बाद एक होने वाली विश्वकर्मा और गणेश पूजा के कारण कुमोर्तुली कुम्हारटोली के मूर्तिकारों की समस्याएं कई गुना बढ़ गई हैं। ऐसे में अपने काम का जल्दी से निपटारा करनी बेहद मुश्किल हो गया है। कलाकार बिश्वनाथ पाल ने कहा परिस्थिति ऐसी है मानों हम लड़ाई लड़ रहे हैं। अंत तक फिनिशिंग टच दे पाना वाकई हमारे लिए चुनौतिपूर्ण होने वाला है।

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