नयी दिल्लीः गैर-विनियमित (नॉन-रेगुलेटेड) कर्ज देने वालों पर अंकुश लगाने और उल्लंघन करने वालों के लिए केंद्र सरकार ने जुर्माने के अलावा 10 साल तक की सजा का प्रावधान करने वाले एक नए विधेयक का प्रस्ताव रखा है। बीयूएलए (गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध) शीर्षक वाले विधेयक के मसौदे पर 3 फरवरी, 2025 तक टिप्पणियां मांगी गयी हैं। विधेयक के मसौदे में ‘गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों’ को ऐसे कर्ज के रूप में परिभाषित किया गया है जो विनियमित ऋण को नियंत्रित करने वाले किसी भी कानून के दायरे में नहीं आते हैं, चाहे वे डिजिटल रूप से किए गए हों या अन्य माध्यमों से। इसमें रिश्तेदारों को कर्ज को छोड़कर अन्य किसी भी गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और उधारकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए एक व्यापक तंत्र बनाने के लिए एक अधिनियम लाने की बात कही गई है।
कितनी होगी सजाः अगर कोई भी ऋणदाता इस कानून का उल्लंघन करते हुए, चाहे डिजिटल रूप से या अन्यथा, ऋण देता है तो उसे कम-से-कम दो साल की कैद की सजा होगी जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। उसपर दो लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। कर्जदारों को परेशान करने या कर्ज वसूली के लिए गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने वाले कर्जदाताओं को तीन से लेकर 10 साल तक की कैद और जुर्माने का भी प्रावधान है।