43 समर्थक भी हिरासत में
पटना : बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे जन सुराज पार्टी संस्थापक प्रशांत किशोर को सोमवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिसकर्मियों ने किशोर और उनके समर्थकों को प्रदर्शन स्थल से हटा दिया। प्रदर्शन प्रतिबंधित क्षेत्र के पास किया जा रहा था और इस तरह से उनका प्रदर्शन ‘गैरकानूनी’था। बीपीएसपी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित की गयी परीक्षा के प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक होने के विरोध में किशोर ने 2 जनवरी को आमरण अनशन शुरू किया था और अनशन के 5वें दिन उन्हें गिरफ्तार किया गया।
जन सुराज पार्टी के समर्थकों के अनुसार, पुलिस किशोर को उनकी मेडिकल जांच के लिए पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले गयी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि किशोर को हिरासत में लेते समय सुरक्षाकर्मियों ने उनके साथ हाथापाई और धक्का-मुक्की की। पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा, गांधी मैदान में धरने पर बैठे किशोर और उनके समर्थकों को पुलिस ने सोमवार सुबह गिरफ्तार कर लिया। उन्हें अब अदालत में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका धरना ‘गैरकानूनी’ था क्योंकि वे प्रतिबंधित स्थल के पास धरना दे रहे थे।
जिलाधिकारी ने कहा, संबंधित अधिकारियों द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद वे वहां से नहीं हटे। जिला प्रशासन ने धरना राज्य की राजधानी के गर्दनीबाग इलाके में स्थानांतरित करने के लिए उन्हें नोटिस भी दिया गया था, जो विरोध प्रदर्शन के लिए निर्धारित स्थल है। हाथापाई के आरोपों पर जिलाधिकारी ने कहा, ‘‘किशोर के साथ सुरक्षाकर्मियों ने हाथापाई नहीं की। पुलिस ने केवल उन समर्थकों को हटाया जो उनकी गिरफ्तारी को रोकने की कोशिश कर रहे थे।
बाद में, जिलाधिकारी ने संवाददाताओं को बताया कि इस दौरान किशोर के 43 समर्थकों को हिरासत में लिया गया और तीन ट्रैक्टर सहित 15 वाहन जब्त किये गये। सिंह ने दावा किया, हिरासत में लिये गये 43 लोगों में से 30 की पहचान कर ली गयी है। पता चला है कि उनमें से एक भी व्यक्ति, छात्र या बीपीएससी अभ्यर्थी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, हिरासत में लिए गये कुछ लोगों ने छात्र होने का दावा किया है, जिसकी जांच की जा रही है। इसके अतिरिक्त, हिरासत में लिये गये लोगों में से पटना के केवल 5 लोग हैं, जबकि चार बिहार से बाहर के हैं।
सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि मामला अब उच्चतम न्यायालय में है और कहा, जिन लोगों को परीक्षा से संबंधित शिकायत है, वे उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं। हाल ही में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई जिसमें बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने और विरोध प्रदर्शन के दौरान अभ्यर्थियों के खिलाफ बल प्रयोग करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पटना पुलिस ने गांधी मैदान के प्रतिबंधित स्थल पर आमरण अनशन करने के लिए किशोर के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
गिरफ्तारी के तुरंत बाद किशोर को मेडिकल जांच के लिए स्थानीय एम्स ले जाया गया। अधिकारी ने कहा, शुरुआत में उन्होंने एम्स में अपनी मेडिकल जांच कराने से अधिकारियों को मना कर दिया। आखिरकार वह मान गये और फतुहा के पास एक मेडिकल सुविधा में उनकी जांच की गयी। जिला प्रशासन ने एक बयान जारी कर दावा किया कि किशोर बिल्कुल ठीक हैं। जब किशोर को एम्बुलेंस में एम्स से बाहर ले जाया जा रहा था, उस दौरान उनके समर्थकों ने अस्पताल के बाहर सड़क जाम करने की कोशिश की।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, एम्स के बाहर इकट्ठा हुए किशोर के समर्थक यातायात को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे जिन्हें तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया। अभ्यर्थी, बीपीएसपी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित की गयी परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। अभ्यर्थियों के समर्थन में किशोर ने 2 जनवरी को आमरण अनशन शुरू किया था। हालांकि, बीपीएससी ने 13 दिसंबर की परीक्षा में शामिल हुए कुछ छात्रों के एक समूह को फिर से परीक्षा देने का आदेश दिया था। शनिवार को यहां 22 केंद्रों पर पुन:परीक्षा आयोजित की गयी। पटना में 22 केंद्रों पर दोबारा परीक्षा हुई। कुल 12012 अभ्यर्थियों में से 8111 ने अपने प्रवेश पत्र डाउनलोड कर लिये थे। हालांकि, शनिवार को पुन:परीक्षा में 5943 छात्र ही शामिल हुए। बीपीएससी ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि पुन:परीक्षा सभी केंद्रों पर शांतिपूर्ण तरीके से हुई और किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई सूचना नहीं है।