कोलकाता : महालया अमावस्या, जिसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है, पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए एक विशेष तिथि मानी जाती है। इस दिन की पूजा से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि यह तर्पण करने वाले व्यक्ति के पुण्य कर्मों में भी वृद्धि करती है। इस साल महालया अमावस्या 2 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, महालया अमावस्या नवरात्र की शुरुआत और पितृपक्ष के अंत का प्रतीक है। यह दिन विशेष रूप से देवी दुर्गा के स्वागत का दिन है। महालया का पर्व मुख्य रूप से बंगाल में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जाता है और पूजा की तैयारियां की जाती हैं।
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राजधानी कोलकाता व हावड़ा के विभिन्न गंगा घाटों पर महालया के दिन तर्पण करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने वाली है और इन्हीं पलों को अपने कैमरे में कैद करने सुबह-सुबह गंगा घाट पहुंचेंगे हमारे कैमरापर्सन Dipen Upadhyay।
बंगाल में इस दिन मां भवानी को पुत्री के रूप में बुलाया जाता है, और हर कोई इसका बेसब्री से इंतजार करता है। महालया के दिन पितरों को विदाई दी जाती है और मां दुर्गा का स्वागत किया जाता है। महालया के दिन पितरों के लिए श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन तर्पण के दौरान पितरों को जल और अन्न अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही, परिवार के सदस्यों को प्रार्थना की जाती है कि वे पितरों की कृपा हमेशा बनाए रखें। महालया के दिन देवी दुर्गा के स्वागत के लिए विशेष पूजा की जाती है। देवी के आगमन के लिए वंदना और प्रार्थना की जाती है। इस दिन से देवी पक्ष की शुरुआत होती है, जिसमें नवरात्रि के नौ दिन और लक्ष्मी पूजा शामिल होती है।
बंगाल में महालया
बंगाल में महालया का उत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है। यह दिन न केवल देवी दुर्गा के आगमन का प्रतीक है, बल्कि पितरों की विदाई का भी। इस दिन, माता पार्वती के मायके आने की खुशी मनाई जाती है और कन्या भोज का आयोजन किया जाता है।