कोलकाता : क्या आपको पता है कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले हॉकरों का राज्य में प्रति माह का व्यवसाय लगभग 7,200 करोड़ रुपये का है। भले ही यह सुनकर आश्चर्य लगे मगर यह सच है। वृहत्तर कोलकाता में 2.75 लाख हॉकर हैं। अगर राज्य भर की बात करें तो लगभग 16 लाख हॉकर हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद कोलकाता समेत राज्य भर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चल रहा है। कोलकाता में बड़ाबाजार, कलाकार स्ट्रीट, सत्यनारायण एसी मार्केट, बागड़ी मार्केट से लेकर चांदनी, गरियाहाट, हाथीबागान, न्यू मार्केट समेत विभिन्न स्थानों पर फुटपाथों पर हॉकरों ने कब्जा जमाया है। कोलकाता में शायद ही कोई ऐसी सड़क हो जहां हॉकरों ने कब्जा नहीं किया हो। यह काफी बड़ा असंगठित क्षेत्र है। ऐसे में कहा जा रहा है कि इस अतिक्रमण हटाओ अभियान से संगठित सेक्टर को तो फायदा होने की उम्मीद की जा सकती है।
कोलकाता में हैं 2 लाख 75 हजार हॉकर : हॉकर्स संग्राम समिति के अध्यक्ष शक्तिमान घोष ने सन्मार्ग को बताया, ‘सॉल्टलेक व सेक्टर 5 समेत वृहत्तर कोलकाता में लगभग 2 लाख 75 हजार हॉकर हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में हॉकरों की संख्या 16 लाख है। उन्होंने बताया कि देश भर में हॉकरों द्वारा रोजाना 8 हजार करोड़ रुपये का व्यवसाय किया जाता है। वहीं कोलकाता की बात करें तो अगर प्रति दिन की औसत बिक्री 2,000 रुपये की पकड़ी जाये तो कोलकाता में प्रतिदिन 5.50 करोड़ का व्यवसाय हॉकरों का है।
इसी तरह पश्चिम बंगाल में हॉकरों का रोजाना व्यवसाय 240 करोड़ रुपये का है जबकि प्रति महीने का व्यवसाय 7,200 करोड़ रुपये का होने का अनुमान है। हालांकि यह एक असंगठित क्षेत्र है जिस कारण सटीक तौर पर इसका आंकड़ा नहीं है और यह केवल अनुमान है।’ यहां उल्लेखनीय है कि बड़ाबाजार में एक-एक डाला से रोजाना 4 से 5 हजार रुपये का व्यवसाय होता है। ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़ाबाजार अपने आप में हॉकरों का कितना बड़ा व्यावसायिक हब है।
इस बारे में कनफेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेड एसोसिएशन (सीडब्ल्यूबीटीए) के प्रेसिडेंट सुशील पोद्दार ने कहा, ‘अतिक्रमण हटाओ अभियान से व्यवसाय को कोई नुकसान नहीं होगा क्योेंकि जिन्हें सामान लेना है, वह लेंगे ही। हालांकि जो लोग पहले हॉकरों से सामान लेते थे, वह अब दुकानों से लेंगे। इससे असंगठित सेक्टर में जो व्यवसाय होता था, उसका लाभ अब संगठित सेक्टर को मिलेगा। इसके अलावा हॉकरों को सड़क के किनारे जाने के लिये कहा जा रहा है ताकि दुकानदार भी अपनी दुकानदारी चला सके।’