बाघ के जंगल में लौटने के बाद भी कुलतली में आतंक बरकार | Sanmarg

बाघ के जंगल में लौटने के बाद भी कुलतली में आतंक बरकार

tiger footprints

दक्षिण 24 परगना : वन विभाग के कर्मियों ने काफी मशक्कत के बाद कुलतली ब्लॉक के मयपीठ बैकुंठपुर श्रीकांतपल्ली और किशोरी मोहनपुर के जंगल से सटे गांव से बाघ को घने जंगल में लौटा दिया। इसके बावजूद इलाके में दहशत कायम है। बाघ उत्तर बैकुंठपुर के पास माकड़ी नदी पार कर आजमलमारी -11 नंबर घने जंगल में लौट चुका है। कुछ लोगों को बाघ के दुबारा आने का आतंक सताने लगा है। कई परिवार अपने घरों से नहीं निकल रहे हैं। लोगों के मन में बार बार एक ही सवाल है कि बाघ दुबारा गांव की तरफ न चला आए। कुछ दिन पहले लोगों ने जंगल से सटी मिकरी नदी तट पर बाघ के पैरों के निशान देखने के बाद घटना की जानकारी वन विभाग को दी थी। वन विभाग के अधिकार‌ियों ने काफी रिसर्च के बाद निशान को बाघ के पैरों के ही होने पुष्ट‌ि की थी। इसके बाद वन विभाग की ओर से लोगों को सतर्क करने के बाद लोगों को आतंक के बचने के लिए जागरूक किया गया था। लोगों के आतंक को दूर करने के लिए वन विभाग की ओर से माइकिंग कर जागरूक किया जा रहा है।
वन विभाग के डीएफओ ने यह कहा : डीएफओ निशा गोस्वामी ने कहा कि दो दिनों के बाद काफी कोश‌िश के बाद बाघ मंगलवार की रात को घने जंगलों में लौट गया है। वन कर्मियों की 50 से 60 की टीम बाघ को घने जंगलों में वापस भेजने में सफल हुई। उत्तर जगदल के पास नदी तट पर बाघ के पैरों के निशान मिलने पर एक किमी इलाके को जाल से घेर दिया गया था। बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरा और बकरी रखे गए थे। बाघ के जंगल में लौटने के बाद पिंजरा को हटा लिया गया है। सुंदरवन में बाघों की संख्या 100 है। अंतिम गिनती के अनुसार कुलतली में 17 बाघ मिले थे। इस साल 4-5 बाघ जंगल छोड़ कर गांव की तरफ आए गए थे।

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