बड़ाबाजार में 74 करोड़ की जीएसटी चोरी का खुलासा, पिता-पुत्र गिरफ्तार | Sanmarg

बड़ाबाजार में 74 करोड़ की जीएसटी चोरी का खुलासा, पिता-पुत्र गिरफ्तार

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कोलकाता के बिजनेस हब कहे जाने वाले बड़ाबाजार इलाके में जीएसटी चोरी के एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। सीजीएसटी विभाग ने 74 करोड़ रुपये की कर चोरी के आरोप में जय प्रकाश बंसल और उनके बेटे गौरव बंसल को गिरफ्तार किया है। दोनों दयाल कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड और आपी एंटरप्राइजेज नामक कंपनियों के निदेशक हैं। सीजीएसटी अधिकारियों के अनुसार, ये कंपनियां लोहा और आयरन स्क्रैप का कारोबार करने का दावा करती थीं, लेकिन असल में ये केवल कागजों पर फर्जी बिल जारी करती थीं। जांच में पाया गया कि इन कंपनियों ने कई वर्षों तक फर्जी लेन-देन दिखाकर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया।
ऐसे हुआ खुलासा
सी​जीएसटी विभाग को गुप्त सूचना मिली थी कि बड़ाबाजार में कुछ कंपनियां फर्जी बिलिंग के जरिए कर चोरी कर रही हैं। इस सूचना के आधार पर विभाग ने तलाशी अभियान चलाया। जांच के दौरान यह सामने आया कि दयाल कमर्शियल ने 48 करोड़ रुपये के फर्जी बिल जारी किए, जबकि आपी एंटरप्राइजेज ने 26 करोड़ रुपये की कर चोरी की।​ इनपुट टैक्स क्रेडिट का दोनों ने गलत फायदा उठाया है। इस मामले में दोनों ओर से कोर्ट में सुनवायी के दौरान दलीलें दी गयीं लेकिन कोर्ट ने दोनों को 14 दिनों की जेल हिरासत में भेज दिया।
इनपुट टैक्स क्रेडिट
जीएसटी में इनपुट क्रेडिट के रूप में ऐसी व्यवस्था बनाई गई है, जिसमें पहले भुगतान किए गए जीएसटी के बदले में आपको क्रेडिट मिल जाते हैं। ये क्रेडिट आपके जीएसटी अकाउंट में दर्ज हो जाते हैं। बाद में जब आपको जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है, तो उसके पेमेंट के लिए आप पैसों की जगह पर इन इनपुट क्रेडिट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह से आपको आखिरकार कम जीएसटी चुकानी पड़ती है। इस तरह से आपको एक वस्तु के कारोबार में बार-बार टैक्स चुकाने का बोझ नहीं झेलना पड़ता। यानी की दोहरे टैक्स भुगतान से बच जाते हैं।
फर्जी कारोबार का नेटवर्क
जांच में खुलासा हुआ कि यह फर्जीवाड़ा केवल कोलकाता तक सीमित नहीं था। दोनों कंपनियां सिलीगुड़ी और अन्य राज्यों में भी फर्जी बिलिंग की सप्लाई करती थीं। इन कंपनियों ने कारोबार का दिखावा करते हुए फर्जी लेन-देन के जरिए जीएसटी की चोरी की। दोनों कंपनियों का मुख्य काम कागजों पर जमा-खर्च दिखाना था। वास्तविक रूप से इनमें कोई कारोबार नहीं होता था। दोनों कंपनियों ने करोड़ों के फर्जी बिल जारी किए, लेकिन सरकार को कर का भुगतान नहीं किया।
पिछले मामले भी आए सामने
यह पहली बार नहीं है जब कोलकाता में जीएसटी चोरी का इतना बड़ा मामला सामने आया है। कुछ ही महीने पहले जीएसटी विभाग ने 74 करोड़ रुपये की कर चोरी के एक और मामले का खुलासा किया था। इसमें भी बड़ी कंपनियों और व्यापारियों को शामिल पाया गया था। इसके अलावा, कोलकाता में पिछले कुछ वर्षों में जीएसटी चोरी के कई मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से कई फर्जी बिलिंग से जुड़े हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान दस्तावेजों और लेन-देन का विस्तृत विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि दोनों कंपनियां कई वर्षों से फर्जी बिलिंग के जरिए सरकार को चूना लगा रही थीं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने फर्जी लेन-देन का पूरा डेटा इकट्ठा किया है और अब इनसे जुड़े अन्य व्यक्तियों और कंपनियों की भी जांच की जा रही है।”

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