कोलकाता: राज्य में लोकसभा चुनाव के दौरान और चुनाव बाद कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुई। इसके बाद केंद्रीय बल को जवानों की तैनाती राज्य में बढ़ा दी गई। आज कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की है। कोर्ट पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती की अवधि बढ़ाने पर सहमत नहीं हुआ। राज्य सरकार को शांति बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार कानून-व्यवस्था की स्थिति के आधार पर केंद्रीय बलों की तैनाती की अवधि बढ़ाने का फैसला कर सकती है।
हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए तैनात किए गए केंद्रीय बल
अदालत ने राज्य को उन प्रभावित क्षेत्रों में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जहां 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद हिंसा भड़क उठी थी। न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। यदि राज्य ऐसा करने में विफल रहता है, तो केंद्र सरकार केंद्रीय बलों को तैनात करने के लिए स्वतंत्र है। इस मामले में हाईकोर्ट ने ममता सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। साथ ही चुनाव बाद हिंसा पर राज्य सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं, इसकी जानकारी भी कोर्ट को देनी होगी। राज्य को इस संबंध में अगले दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपनी है।
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बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद हिंसा के आरोपों के चलते चुनाव आयोग ने राज्य में 19 जून तक केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए कहा था। बाद में हाई कोर्ट ने समयसीमा 21 जून तक बढ़ा दी। हाई कोर्ट के मुताबिक 26 जून तक विभिन्न जिलों में केंद्रीय बलों की तैनाती की जाएगी। इसके बाद उन्हें नहीं रखा जाएगा।