कहानी: सच्ची दोस्ती की ताकत | Sanmarg

कहानी: सच्ची दोस्ती की ताकत

एक छोटे से गाँव में दो बहुत अच्छे दोस्त रहते थे—अर्जुन और रोहन। दोनों का बचपन एक साथ खेलते-खाते, पढ़ाई करते हुए बीता था। दोनों की दोस्ती का रिश्ता बहुत मजबूत था। अर्जुन शांत और समझदार था, जबकि रोहन जिंदादिल और मस्तमौला था। दोनों एक-दूसरे के साथ हमेशा रहते और किसी भी मुश्किल में एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते थे।

एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। अर्जुन और रोहन भी वहाँ जाने का फैसला करते हैं। पूरे गाँव में हंसी-खुशी का माहौल था। मेले में झूले, दुकानें और हर तरह के मनोरंजन के साधन थे। दोनों दोस्त खूब मजे करते हैं। अचानक, अर्जुन की नजर एक परिज्ञात व्यक्ति पर पड़ती है, जो बहुत परेशान सा दिखाई दे रहा है। वह व्यक्ति गाँव का ही एक गरीब किसान था, जिसका नाम सुरेश था। सुरेश के पास पैसे नहीं थे और उसकी हालत बहुत खराब थी। अर्जुन और रोहन तुरंत उसके पास जाते हैं।

“क्या हुआ सुरेश भाई, आप परेशान क्यों हो?” अर्जुन ने पूछा।

सुरेश दुखी मन से बोला, “मेरे पास मेले में जाने के लिए पैसे नहीं हैं। मेरे बच्चों के लिए मैं कुछ खास नहीं खरीद पाया। अब मुझे घर जाने के लिए भी पैसे नहीं हैं।”

यह सुनकर अर्जुन और रोहन दोनों को दुःख हुआ। रोहन तुरंत अपनी जेब से पैसे निकालने लगा। अर्जुन ने भी सुरेश से कहा, “हमारे पास पैसा है, तुम परेशान मत हो। हम तुम्हारे लिए कुछ खरीदते हैं और तुम्हारे घर तक छोड़ देंगे।”

सुरेश ने थोड़ी देर तक सोचने के बाद कहा, “लेकिन तुम दोनों के पास भी अपनी जरुरतें होंगी, तो क्या हमें पैसे दे कर तुम अपनी खुशियाँ खत्म कर दोगे?”

अर्जुन हंसी के साथ बोला, “सुरेश भाई, खुशियाँ बांटने से बढ़ती हैं, और जब दोस्त साथ हों, तो कोई भी परेशानी छोटी लगती है।”

रोहन ने भी हंसी में कहा, “हमारी दोस्ती में पैसे कभी कमी नहीं हो सकती, और हमारी सबसे बड़ी खुशी यह है कि हम तुम्हारी मदद कर पाए।”

फिर दोनों ने मिलकर सुरेश के बच्चों के लिए कुछ अच्छे खिलौने और सामान खरीदा और उसे घर तक छोड़ने चले गए। रास्ते भर वे सुरेश से उसकी ज़िन्दगी के अनुभव सुनते गए। सुरेश ने भी उन्हें बताया कि कैसे उसकी मेहनत और संघर्ष ने उसे इस हालात में पहुँचाया।

जब सुरेश ने अपने घर पहुंचने पर उन्हें धन्यवाद दिया, तो अर्जुन और रोहन मुस्कुराए और कहा, “सच्ची दोस्ती यही है—कभी भी एक-दूसरे का साथ छोड़ना नहीं, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।”

इस घटना के बाद, गाँव में अर्जुन और रोहन की दोस्ती के किस्से सुनने को मिलने लगे। गाँववाले कहते थे, “सच्चे दोस्त वही होते हैं जो मुश्किल वक्त में एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं, और किसी भी कीमत पर अपने दोस्त की मदद करते हैं।”

और इस तरह अर्जुन और रोहन की दोस्ती पूरे गाँव में मिसाल बन गई।

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