सामाजिक कल्याण में मास्टर डिग्री प्राप्त की
पुणे : महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले की रहने वाली तथा लैंगिक पहचान के कारण कठिनाईयों और पीड़ा झेलने वाली विजया वसावे ने न केवल हर बाधा को पार किया बल्कि राज्य की की पहली ट्रांसजेंडर महिला वन रक्षक बनकर सम्मानजनक जीवन जीने का साहस भी दिखाया। वसावे ने पुणे स्थित ‘कर्वे इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल सर्विस’ से सामाजिक कल्याण में मास्टर डिग्री प्राप्त की है।
लोगों ने खिल्ली उड़ाई, दुर्व्यवहार किया
लोगों ने 30 वर्षीय वसावे की खिल्ली उड़ाई और उसके साथ दुर्व्यवहार किया, जिसके कारण उन्होंने तीन बार आत्महत्या का प्रयास तक किया लेकिन जब उन्हें अपनी लैंगिकता के बारे में वैज्ञानिक पहलू पता चले और परिवार का समर्थन मिला तो उन्होंने पुरुष से ट्रांसजेंडर महिला बनने की हिम्मत जुटायी। इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और हाल ही में राज्य वन विभाग में नौकरी पाने के लिए उन्होंने प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण की। वसावे ने बुधवार को फोन पर बताया कि मैं अब खुश हूं कि मेरे परिवार, गांव और मेरे कार्यस्थल पर मुझसे सम्मान के साथ व्यवहार किया जाता है। नंदुरबार जिले के आदिवासी समुदाय से तालुक रखने वाली वसावे वर्तमान में नंदुरबार के अक्कलकुवा तहसील में वन रक्षक के रूप में तैनात हैं।
तीन बार आत्महत्या का प्रयास किया
पुरुष के रूप में वसावे का नाम ‘विजय’ था और उन्होंने नंदुरबार में आदिवासी छात्रों के लिए एक आवासीय विद्यालय में पढ़ाई की। उन्होंने कहा कि मेरे स्कूली दिन कठिनाइयों से भरे थे। न सिर्फ मेरे सहपाठी बल्कि शिक्षक भी मेरे स्त्री जैसे व्यवहार का मजाक उड़ाते थे। लगातार दुर्व्यवहार झेलने के कारण कई बार खुदकुशी का विचार आया और मैंने तीन बार आत्महत्या का प्रयास किया। वसावे ने कहा कि स्कूल और कॉलेज के शुरुआती दिनों में उनका शरीर पुरुषों की तरह था और वह इससे आजाद होना चाहती थी। नासिक में कॉलेज के दिनों में भी उनका संघर्ष जारी रहा।
काउंसलर से संपर्क किया
वसावे ने कहा कि जब मेरा आत्मविश्वास डगमगाने लगा तो मैंने एक काउंसलर से संपर्क किया जिसने मुझे ‘ठीक’ करने के लिए कुछ गोलियां लिखीं लेकिन इसने काम नहीं किया। फिर मैंने अपनी बहन को बताया। वह भी नहीं जानती थी कि क्या किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी बहन उन्हें एक व्यक्ति के पास ले गयीं जिसने दावा किया कि वह ‘काले जादू’ का शिकार है। वसावे ने कहा कि हालांकि मुझे यकीन नहीं था लेकिन अपने परिवार के दबाव में उनकी बात मान ली, बाद में मैंने इसे (व्यक्ति द्वारा सुझाया गया उपचार) बंद कर दिया।
बिंदूमाधव खिरे के व्याख्यान से आया सकारात्मक मोड़
वसावे के जीवन में तब सकारात्मक मोड़ आया जब पुणे स्थित एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ता बिंदूमाधव खिरे ने उसके कॉलेज में ‘लैंगिकता’ पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि मुझे आखिरकार अपनी लैंगिकता के बारे में सवालों के वैज्ञानिक तर्क मिल गये। उन्होंने मुझे पुणे के एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक से मिलवाया। मैंने सफल ट्रांसजेंडर लोगों के साक्षात्कार भी देखे और उन्हें अपने परिवार को दिखाया, जिससे उन्होंने मुझे समझा। उन्होंने 2019 में लिंग परिवर्तन करवाने का फैसला किया, जिसमें सर्जिकल और हार्मोनल उपचार दोनों शामिल थे।
दीपस्तंभ फाउंडेशन से मिली मदद
वसावे ने कहा कि जलगांव में दीपस्तंभ फाउंडेशन से मिली मदद ने मुझे सही दिशा दिखायी। इसके मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। वसावे ने शुरुआत में पुलिस भर्ती परीक्षा दी लेकिन सफल नहीं हो सकीं। वन रक्षक पदों के लिए 2023 में एक विज्ञापन जारी किया गया और वह परीक्षा में शामिल हुईं। वसावे ने बताया कि उन्होंने लिखित और शारीरिक दोनों परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं और दो महीने पहले अक्कलकुवा तहसील में उनकी तैनाती हुई।