कोलकाता : शनि जिस पर मेहरबान हो जाएं उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आईये जानते हैं शनि की पूजा करने का सही समय। सुबह या शाम के समय शनि की उपासना से क्या लाभ मिलता है। शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार शनिदेव की पूजा सूर्यास्त के बाद फलीभूत मानी गई है। इस वक्त शनि का प्रभाव तेज रहता है, जो सच्चे मन से इस समय शनि की उपासना करता है वह उस भक्त पर अपनी कृपा लुटाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि शनि और सूर्य एक दूसरे के विरोधी हैं। सूर्य पूर्व दिशा में विराजित हैं तो वहीं शनिदेव पश्चिम दिशा में, जब सूर्योदय होता है तो सूरज की किरणें शनि के पीठ पर पड़ती है। यही वजह है कि सूर्योदय के समय शनि देव कोई भी पूजा स्वीकार नहीं करते हैं।
यह है पूजा करने का उत्तम समय
सूरज ढलने के बाद शनि की पूजा उत्तम मानी जाती है। शनि देव की पूजा करते समय उनसे सीधे नजरें नहीं मिलाना चाहिए। मान्यता है इससे जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है। शनि की दृष्टि को अशुभ माना गया है। कहते हैं अगर शनि देव आपके जीवन में परेशानियां दे रहे हैं या साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव झेल रहे हैं तो शनिवार के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों का दीपक लगाकर दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें। इससे शनि की पीड़ा में कमी आएगी।
सरल उपाय है मंत्र जाप
शनि देव की प्रसन्नता पाने के लिए सबसे सरल उपाय है मंत्र जाप। शनिवार के दिन शाम को शनि मंदिर में
ओम शनैश्चराय विदमहे सूर्यापुत्राय धीमहि।।
तन्नो मंद: प्रचोदयात।।
मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे आर्थिक, शारीरिक तौर पर मजबूती मिलेगी। पैसों की तंगी चल रही है तो शनिवार के दिन पीपल की 7 पत्तियों को घर लाएं और हल्दी से उस पर ”ह्रीं ” लिखें और शाम को शनि मंदिर में भगवान के सामने रख दें। मान्यता है इससे धन की कमी दूर होती है।