बिहार में जातिगत जनगणना के आर्थिक आंकड़े जारी, जानें किस जाति के लोग सबसे गरीब | Sanmarg

बिहार में जातिगत जनगणना के आर्थिक आंकड़े जारी, जानें किस जाति के लोग सबसे गरीब

पटना: बिहार विधानसभा में मंगलवार(07 नवंबर) को जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट विधानसभा में पेश हो गई। जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। जाति गणना को लेकर नीतीश सरकार और बीजेपी एक दूसरे पर हमलावर है। इस बीच जातिगत गनगणना के आर्थिक आंकड़े सामने आए हैं, जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जानकारी के मुताबिक बिहार में रहने वाले 25 प्रतिशत सवर्ण परिवार आर्थिक रूप से कमजोर यानी गरीब हैं।

कितने परिवार हैं गरीब

बिहार के जाति आधारित जनगणना 2022-23 के अनुसार, आर्थिक रूप से गरीब परिवारों की संख्या सामान्य वर्ग में 25.09 फीसदी है। वहीं, पिछड़ा वर्ग (OBC) 33.16 प्रतिशत और अत्यंत पिछड़ा वर्ग 33.58 फीसदी है। गरीब परिवारों में अनुसूचित जाति (SC) के परिवारों की संख्या 42.93 फीसदी और अनुसूचित जनजाति (ST) परिवारों का आंकड़ा 42.7 प्रतिशत है। अन्य जातियों में 23.72 फीसदी आर्थिक रूप से गरीब हैं।

पिछड़ा वर्ग में यादव (ग्वाला, अहीर, गोरा, घासी, मेहर, सदगोप, लक्ष्मी नारायण गोला) 35.87 फीसदी, कुशवाहा (कोइरी) 34.32 फीसदी, कुर्मी 29.90 फीसदी, बनिया (सुढी, मोदक/मायरा, रनियार, पनसारी, मोदी, कसेरा, केसरवानी, ठठेरा, कलवार (कलाल/ एराकी), बियाहुत कलवार, कमलापुरी वैश्य माहुरी वैश्य, बंगी वैश्य (बंगाली बनिया) बरनवाल, अग्रहरी वैश्य, वैश्य पोद्दार, कसौधन, गधबनिक, गोलदार (पूर्वी/पश्चिमी चंपारण के लिए), बाथम वैश्य 24.62 फीसदी हैं।

भूमिहार और ब्राह्मण परिवार सबसे ज्यादा गरीब

सबसे गरीब परिवारों में भूमिहारों की संख्या सबसे ज्यादा है और 25.32 फीसदी भूमिहार परिवार गरीबों की श्रेणी में हैं। इसके बाद ब्राह्मणों की संख्या है और 25.3 फीसदी ब्राह्मण परिवार गरीब हैं। 24.89 फीसदी राजपूत परिवार, 13.83 फीसदी कायस्थ परिवार, 22.2 प्रतिशत पठान (खान) परिवार और 17.61 फीसदी सैयद परिवार गरीब हैं।

बिहार में सिर्फ 7 प्रतिशत आबादी ग्रेजुएट

जातिगत गनगणना के आर्थिक आंकड़े के साथ ही शैक्षणिक आंकड़े भी सामने आए हैं। आंकड़ों के अनुसार, बिहार में सिर्फ 7 फीसदी आबादी ही ग्रेजुएट है। 9.19 प्रतिशत आबादी ने 11वीं से 12वीं तक की पढ़ाई की है। बिहार कि 14.71 फीसदी आबादी ने 9वीं से 10वीं तक 14.33 फीसदी आबादी ने छठी से आठवीं तक की पढ़ाई की है। जबकि, सबसे ज्यादा संख्या कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई करने वालों की है, जिसमें बिहार की 22.67 प्रतिशत आबादी शामिल है।

 

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