नई दिल्ली : वैसे तो अब तक पीरियड्स को टैबू की तरह समझा जाता था और इस बारे में पिता से खुलकर तो क्या बात ही नहीं की जाती थी, लेकिन उत्तराखंड में रहने वाले जितेंद्र भट्ट की पहल देखकर लगता है अब लोगों की सोच बदल रही है। उनकी एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें उन्होंने अपनी बेटी का फर्स्ट पीरियड सेलिब्रेशन क है। इस सेलिब्रेशन में पिता समेत बाकि सभी लोगों ने हैप्पी पीरियड्स टू यू गाकर रागिनी का पहला पीरियड सेलिब्रेट किया। इस सेलिब्रेशन में परिवार वालों के साथ रागिनी के दोस्त भी शामिल थे। पूरा घर सजाया था और रेड वेलवेट केक भी काटा गया। आपको बता दें, जितेंद्र भट्ट पेशे से म्यूजिक टीचर हैं और वे पीरियड्स सेलिब्रेट करके इससे जुड़े मिथ्स को दूर करना चाहते हैं।
कहीं ऋतु कला संस्कार तो कहीं हाफ साड़ी फंक्शन
देश के दक्षिण भारतीय राज्यों में यह उत्सव है। हर्षोल्लास से लोग इसे मनाते हैं। पूजा-पाठ,पार्टी, सब करने की परंपरा है।दुनिया के अनेक हिस्सों में भी इस अवसर को लोग छिपाते नहीं हैं। खुलकर बात करते हैं बावजूद इसके अभी भी बहुत सी जगहें ऐसी हैं, जहां रूढ़िवादी परंपराओं ने हमें घेर रखा है।
पहले दक्षिण भारतीय राज्यों का हाल समझते हैं। यहां इस मौके को जश्न के रूप में ही मनाने की परंपरा है। हां, समाज इसे अलग-अलग नामों से जानते हैं। यहां के हिन्दू परिवार ऋतु कला संस्कार समारोह मनाते हैं। इसे ऋतु शुद्धि भी कहा जाता है। जब बेटी को पहला पीरियड होता है तब यह मनाया जाता है। उस दिन बेटी को पहली बार साड़ी पहनाई जाती है। कई इलाकों में इस हाफ साड़ी फंक्शन भी कहते हैं। इस मौके पर अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार आज भी लोग आयोजन करते हैं। बेटी इस समारोह में जो पहली साड़ी पहनती है, वह पारंपरिक रूप से मामा लेकर आते हैं। दोस्त-रिश्तेदार भी बुलाए जाते हैं। इस मौके पर लोग गिफ्ट भी देते हैं।
शादी होने तक बेटी हाफ साड़ी ही पहनेगी
इस समारोह में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा होती है। परंपरा यह भी है कि शादी होने तक बेटी हाफ साड़ी ही पहनेगी। इसे आयोजन को तेलुगू में लंगा वोनी, तमिल में पावदाई धावनी, कन्नड़ में लंगा दावानी कहा जाता है। हाफ साड़ी अविवाहित बेटियों की पारंपरिक पहचान है।