‘वृक्ष लगाओ, सृष्टि बचाओ’ का उद्घोष, भक्तों को प्रसाद के रूप में देंगे 51,000 फलदार पौधे
महाकुम्भ नगर : महाकुम्भ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण 13 अखाड़ों का महाकुम्भ नगर में प्रवेश का सिलसिला आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में रविवार को श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े ने पूरी भव्यता और राजसी अंदाज में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी की अगुवाई में छावनी में प्रवेश किया। श्रद्धालुओं और महाकुम्भ प्रशासन ने पुष्प वर्षा कर अखाड़े के संतों का स्वागत किया। छावनी प्रवेश यात्रा अखाड़े के मडौका स्थित आवाहन अखाड़े के स्थानीय आश्रम से प्रारंभ हुई और घोड़े और ऊंट पर सवार साधु संतों के साथ बड़ी संख्या में अन्य श्रद्धालु हर हर महादेव के जयघोष के साथ पैदल चलकर छावनी में पहुंचे।
सबसे आगे गजानन जी का रथ: छावनी प्रवेश यात्रा में सबसे आगे अखाड़े के देवता भगवान गजानन जी का रथ था। इसके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वर रमता पंच और इसके बाद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर का रथ चल रहा था। प्रवेश यात्रा में संतों की तरफ से ‘वृक्ष लगाओ, सृष्टि बचाओ’ के उद्घोष भी किए जा रहे थे। सनातन धर्म के 13 अखाड़ों में यह अखाड़ा सबसे पहले अस्तित्व में आया था। अब तक प्रयागराज में 122 महाकुम्भ और 123 कुम्भ में भाग ले चुका है। इस कुंभ में एक दर्जन से अधिक महामंडलेश्वर और 51 श्री महंतों के अलावा बड़ी संख्या में नागा संन्यासी शामिल हुए।
11 किमी का सफर : स्वामी अरुण गिरी ने कहा कि उनके अखाड़े का मूल उद्देश्य सनातन का प्रचार प्रसार और धर्म की रक्षा करना है, लेकिन वर्तमान समय में सृष्टि के सामने सबसे बड़ा संकट पर्यावरण की रक्षा का है जिसके लिए वह ‘वृक्ष लगाओ, सृष्टि बचाओ’ महाअभियान के अंतर्गत श्रद्धालुओं और सनातनियों से वृक्ष लगाने का संकल्प ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह स्वयं महाकुम्भ में इस बार अखाड़े में आने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में 51,000 फलदार पौधे दे रहे हैं। श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा ने 11 किमी का सफर तय कर सेक्टर 20 में स्थित अपनी छावनी में प्रवेश किया। अखाड़े की भव्य और दिव्य यात्रा का शहर में जगह जगह स्थानीय लोगों और महाकुम्भ प्रशासन की तरफ से पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।