नयी दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर की उस याचिका पर मंगलवार को सीबीआई से जवाब मांगा, जिसमें उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में उन्हें दी गई 10 साल की जेल की सजा को चिकित्सा आधार पर निलंबित करने का अनुरोध किया गया है। सेंगर के वकील ने कहा कि वह चिकित्सा आधार पर सजा को निलंबित करने का अनुरोध कर रहे हैं क्योंकि उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और यह चिकित्सा के लिहाज से एक गंभीर स्थिति है। वकील ने कहा कि निचली अदालत के दोषसिद्धि और सजा के आदेश को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील पर लंबे समय से सुनवाई नहीं हुई है और वह पिछले 8 वर्ष से जेल में है, जबकि इस मामले में सेंगर को अधिकतम 10 साल की सजा दी गयी थी।
अगली सुनवाई 13 जनवरी को : न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि नोटिस केवल चिकित्सा आधार तक ही सीमित है। उन्होंने जेल अधिकारियों से सेंगर की चिकित्सा स्थिति पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा और याचिका को अगले साल 13 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। सीबीआई के वकील ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने इस वर्ष जून में सेंगर की दोषसिद्धि के खिलाफ अपील लंबित रहने तक उनकी सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया था।
सेंगर पर मामले, सजा और याचिकाएं : सेंगर को पीड़ित की नाबालिग बेटी से बलात्कार का दोषी ठहराया जा चुका है और उस मामले में उसे जीवन पर्यंत कारावास की सजा सुनाई गई है। मुख्य उन्नाव बलात्कार मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील हाईकोर्ट में लंबित है। उसने 16 दिसंबर, 2019 को निचली अदालत के उस फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उसे बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था। सेंगर ने 20 दिसंबर, 2019 को उसे जीवन पर्यंत कारावास की सजा सुनाए जाने के आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है। सेंगर ने 2017 में पीड़ित का अपहरण कर उससे बलात्कार किया था। 13 मार्च, 2020 को निचली अदालत ने सेंगर को बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। लड़की के पिता को सेंगर के इशारे पर शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और पुलिस के उत्पीड़न के कारण 9 अप्रैल, 2018 को हिरासत में उनकी मौत हो गई थी।