काेलकाता : एक समय में महानगर की पहचान व धरोहर कहलाने वाली पीली टैक्सियों की संख्या समय के साथ-साथ सिमटती जा रही है। शुरुआती दौर में कोलकाता में 54 हजार के आस-पास पीली टैक्सियां चलती थीं जिनकी संख्या कम होते-होते कोविड काल से पहले 15,000 के आस-पास पहुंच गयी थी। कोविड काल के बाद भी पीली टैक्सियों की संख्या में गिरावट लगातार जारी है और अब इनकी संख्या कम होकर 8,000 के करीब आ गयी हैं। पीली टैक्सियों के काफी ड्राइवरों ने यह काम छोड़कर अपने-अपने गांव लौट गये हैं। इन सबके बीच, पीली टैक्सियों के संगठन द्वारा राज्य सरकार से टैक्सियों को बचाने की अपील की गयी।
नहीं सफल हो रहा यात्री साथी ऐप
टैक्सी ड्राइवरों और पीली टैक्सियों के मालिकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने यात्री साथी ऐप लांच किया, लेकिन जानकारी के अभाव में कम संख्या में लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रचार की कमी के कारण यात्री साथी ऐप सफल नहीं हो पा रहा है।
पार्किंग फीस कम करने की अपील
यात्री साथी में शामिल टैक्सियों की पार्किंग फीस कम करने की अपील भी की गयी। विशेषकर एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनों पर पार्किंग फीस काफी अधिक है। इसके अलावा अपर्याप्त पार्किंग स्थल का मुद्दा भी उन्होंने उठाया। कोलकाता के अलावा हावड़ा, हुगली, उत्तर व दक्षिण 24 परगना में भी पार्किंग स्थल की संख्या बढ़ाने की अपील की गयी ताकि पीली टैक्सियों के हेरिटेज को बचाया जा सके।
पीली टैक्सियों को कनवर्ट करे राज्य सरकार
एटक समर्थित वेस्ट बंगाल टैक्सी ऑपरेटर्स को-ऑर्डिनेशन कमेटी के कनवेनर नवल किशोर श्रीवास्तव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, 15 साल से पुराने सभी कॉमर्शियल वाहनों को स्क्रैप करना होगा। ऐसे में इसकी अनुमति दी जाए कि पीली टैक्सियों को कनवर्ट कराया जाए और पीली टैक्सियों के ड्राइवरों को दूसरी कंपनियों के निर्माताओं द्वारा निर्मित टैक्सी का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए। इससे पीली टैक्सियों के हेरिटेज को बचाया जा सकेगा। ऐसा नहीं किये जाने पर ट्राम की तरह ही पीली टैक्सियों का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा।