जिति‍या पूजा 2024: संतान के लिए माताओ का विशेष व्रत

जिति‍या पूजा 2024: संतान के लिए माताओ का विशेष व्रत

नई दिल्ली: जितिया पूजा, जिसे “जितिया” या “जिउतिया” भी कहा जाता है, मुख्यतः उत्तर भारत, विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। जिति‍या पूजा हर साल अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाई जाती है, और यह पर्व खासकर नवमी तिथि को आयोजित किया जाता है। ,इस पूजा का मुख्य उद्देश्य संतान के स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करना है। माताएँ इस दिन उपवास रखकर विशेष अनुष्ठान करती हैं और अपने बच्चों के लिए पूजा अर्चना करती हैं। यह पर्व मातृत्व के प्रति समर्पण और प्रेम को दर्शाता है। जितिया पूजा का पर्व विशेष रूप से दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन, माताएँ निर्जला उपवास रखती हैं और रात में जागरण करती हैं। दूसरे दिन, वे विशेष पकवान बनाती हैं, जिसमें घुघनी, लड्डू और खीर शामिल होते हैं। पूजा के दौरान, माताएँ अपने बच्चों के सिर पर जल का छिड़काव करती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं।

पूजा की विधि

जितिया पूजा में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन किया जाता है। माताएँ पहले स्नान करती हैं, फिर घर के पूजा स्थल को साफ करके वहां जिउतिया देवी की स्थापना करती हैं। इसके बाद, वे विभिन्न पकवानों का भोग अर्पित करती हैं और कथा सुनती हैं। इस दिन माताएँ अपने बच्चों को विशेष प्रेम और आशीर्वाद देती हैं, जिससे उनका जीवन खुशहाल और समृद्ध हो। जितिया पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में माताओं के त्याग और प्रेम का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान, परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं, जिससे आपसी संबंधों में मजबूती आती है। यह पर्व माताओं के साथ-साथ समाज को भी एकजुट करने का कार्य करता है। जितिया पूजा एक ऐसा पर्व है जो मातृत्व का सम्मान करता है और संतान के कल्याण की कामना करता है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस पर्व को मनाते समय हमें अपने परिवार और समाज के साथ जुड़े रहना चाहिए, ताकि हम सभी मिलकर इस पवित्र परंपरा को आगे बढ़ा सकें।

Visited 88 times, 1 visit(s) today
शेयर करे
2
0

Leave a Reply

ऊपर