कोलकाता : देव दीपावली, जिसे “देवों की दीपावली” भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक विशेष धार्मिक महत्व वाला पर्व है, जो दीपावली के 15 दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन का संबंध भगवान शिव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है। देव दीपावली का मुख्य उद्देश्य देवताओं के स्वागत और उनकी पूजा का है। एक पुरानी मान्यता के अनुसार, देव दीपावली का पर्व उस दिन से जुड़ा हुआ है जब देवता अपनी दीवाली मानने के लिए कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर आए थे।
1. देवताओं का कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर आना: कहानी के अनुसार, जब राक्षसों पर भगवान राम ने विजय प्राप्त की और बुरी शक्तियों का संहार किया, तब देवताओं ने आकाश में दीप जलाए थे। देवता पृथ्वी पर आए और अपनी दिव्य आभा से वातावरण को आलोकित किया। यह आभा इतनी तेज थी कि आकाश में दीपों के जलने से संपूर्ण पृथ्वी पर उजाला फैल गया था। इस दिन को “देव दीपावली” के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई, ताकि देवताओं के आगमन और उनके द्वारा दी गई आशीर्वाद को याद किया जा सके।
2. देवता और राक्षसों के बीच युद्ध: किंवदंती के अनुसार, एक समय में राक्षसों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, और देवता अपने स्थानों से शरणार्थी बन गए थे। लेकिन जब भगवान राम ने राक्षसों का संहार किया, तो देवता वापस अपने स्थान पर लौटे। इस खुशी के मौके पर देवता दीप जलाकर अपनी आभा से वातावरण को रोशन करते हैं, जिससे यह दिन “देव दीपावली” के रूप में मनाया जाता है।
3. लक्ष्मी और विष्णु की पूजा: देव दीपावली के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन से अमृत प्राप्त किया था और देवी लक्ष्मी उनके साथ आ गई थीं। इस दिन लक्ष्मी और विष्णु की पूजा से घर में सुख-समृद्धि, धन और ऐश्वर्य का वास होता है।
4. दीप जलाने की परंपरा: देव दीपावली के दिन दीप जलाने की परंपरा भी है। घरों और मंदिरों में दीप जलाकर वातावरण को शुद्ध और उज्जवल किया जाता है, ताकि घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो। देव दीपावली का पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद लाने का एक अवसर है। इस दिन विशेष पूजा और धार्मिक कार्यों से हमें अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त करने की संभावना होती है। यह दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का है, और साथ ही यह हमें आंतरिक शांति और संतुलन की ओर मार्गदर्शन भी करता है।
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