दस्तावेजों की जांच में लापरवाही, दो पुलिसकर्मी संदेह के घेरे में
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : फर्जी पासपोर्ट मामले में कोलकाता पुलिस की डीडी की टीम ने एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। अभियुक्त का नाम धीरेन घोष है। मुख्य आरोपित मनोज गुप्ता से पूछताछ के बाद कोलकाता पुलिस के खुफिया विभाग ने उसे नदिया जिले के मदनपुर इलाके से गिरफ्तार किया है। धीरेन के पास से पुलिस ने कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किये हैं। जांचकर्ताओं का दावा है कि नदिया जिले के मदनपुर इलाके में फर्जी पासपोर्ट बनाने में कई और एजेंट भी सक्रिय हैं। अभियुक्त से पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि वह वर्ष 2007 से 2017 तक इटली में रहा था। धीरेन की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में कुल गिरफ्तारी की संख्या बढ़कर 8 हो गई है। इससे पहले, कोलकाता पुलिस ने पिछले रविवार को मामले में मुख्य आरोपित मनोज गुप्ता को गिरफ्तार किया था। मनोज गुप्ता फर्जी आधार कार्ड बनाकर दूसरों के नाम, तस्वीर और पता का उपयोग कर पासपोर्ट तैयार करता था। पुलिस ने उनके कंप्यूटर से कई फर्जी दस्तावेज बरामद किये हैं। बुधवार को अभियुक्त को अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया जहां उसे 15 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। वहीं इसी मामले में गिरफ्तार एक अन्य अभियुक्त दीपांकर दास को भी कोर्ट ने 15 जनवरी तक जेल हिरासत में रखे जाने का आदेश दिया है। दूसरी तरफ फर्जी पासपोर्ट मामले की जांच में कोलकाता पुलिस के दो पुलिसकर्मी संदेह के घेरे में हैं। सूत्रों के मुताबिक दोनों पुलिसकर्मी वर्तमान में कोलकाता पुलिस में कार्यरत हैं। आरोप है कि पासपोर्ट आवेदन के दौरान फर्जी दस्तावेज जमा किये जाने के बावजूद इन पुलिसकर्मियों ने सही तरीके से जांच नहीं की और अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरती। यह भी आरोप है कि इन दो पुलिसकर्मियों में से एक ने दूसरे के स्थान पर काम किया था। जांच दल ने पहले ही एक पुलिसकर्मी से पूछताछ की है। अब यह जांच की जा रही है कि पासपोर्ट दस्तावेजों के सत्यापन में उनकी क्या भूमिका थी। लालबाजार सूत्रों के अनुसार शीर्ष अधिकारियों के निर्देश पर यह जांच शुरू की गई है और इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) कर रही है।
प्रभावशाली व्यक्ति की भूमिका संदेह के घेरे में
जांच में उत्तर 24 परगना के एक प्रभावशाली व्यक्ति का नाम भी सामने आया है। पुलिस का दावा है कि इस व्यक्ति का संपर्क इस गिरोह के मास्टरमाइंड से था। गौरतलब है कि इस मामले में पुलिस अब तक 8 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें दो डाक विभाग के कर्मचारी तारकनाथ सेन और दीपक मंडल शामिल हैं। इसके अलावा, गिरोह के प्रमुख सदस्य समरेश विश्वास, मनोज गुप्ता, मोख्तार आलम और दीपंकर दास को भी गिरफ्तार किया गया है। समरेश का बेटा रिपन भी पुलिस की गिरफ्त में है।
कैसे काम करता था यह फर्जी पासपोर्ट गिरोह?
जांच अधिकारियों के मुताबिक गिरोह का एक प्रमुख व्यक्ति सीमावर्ती इलाकों में कारोबार करता था। उसका काम बांग्लादेश से आये घुसपैठियों को भारत में सुरक्षित ठिकाना देना था। इसके बाद इन घुसपैठियों के फोटो और अन्य जानकारियां मनोज गुप्ता को दी जाती थीं। फिर दीपंकर, समरेश और तारक के जरिए फर्जी पहचान पत्र बनाए जाते थे और पासपोर्ट के लिए आवेदन किया जाता था। आरोप है कि संबंधित पुलिसकर्मी बिना उचित जांच किये पासपोर्ट आवेदनों को मंजूरी दे देते थे। पासपोर्ट बनने के बाद वे पंचसायर के डाकघर पहुंचते, जहां अस्थायी कर्मचारी दीपक इन्हें समरेश के पास पहुंचा देता था। पुलिस के अनुसार, पिछले दो वर्षों में इस गिरोह ने 73 फर्जी पासपोर्ट तैयार किये हैं।