देवउठनी एकादशी पर गलती से भी न तोड़े तुलसी का पत्ता, जानिये कारण

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नई दिल्ली: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इसके बाद ही शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और इस दौरान शादी-विवाह नहीं किए जाते। इसके लिए लोग भगवान विष्णु के जागने का ​इंतजार करते हैं और भगवान विष्णु कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन जागते हैं। जिसे देवउठनी एकादशी या देवउत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद ही हिंदू धर्म में शादी-विवाह की शुरुआत होती है। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का पूजन किया जाता है लेकिन इस दिन भूलकर भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा करने से जीवन पर अशुभ प्रभाव पड़ता है।

देवउठनी एकादशी के दिन न तोड़ें तुलसी

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने निषेध होता है। कहते हैं कि एकादशी और रविवार के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्तों को न तोड़ना चाहिए और न ही जल अर्पित करना चाहिए। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है और इस दिन उन्हें तुलसी के पत्ते अर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं। लेकिन इस दिन तुलसी तोड़ना अशुभ माना जाता है इसलिए एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेने चाहिए। कहते हैं कि एकादशी ​और रविवार के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने और जल अर्पित करने से तुलसी नाराज होती हैं और इससे आपकी जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना अशुभ होता है और इससे भगवान विष्णु समेत माता तुलसी भी नाराज होती है। इसलिए एकादशी या रविवार के दिन तुलसी तोड़ने के बजाय उससे एक दिन पहले तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लें। ध्यान रखें कि शाम के समय भी तुलसी के पत्ते तोड़ना अशुभ माना जाता है। इसलिए यदि आपके घर में भी तुलसी का पौधा है तो तुलसी के जुड़े नियमों का पालन जरूर करें।

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