अलग से ओपीडी शुरू करने और आईपीडी में भी अलग से वार्ड बनाने के दिये निर्देश
जयपुर : राजस्थान स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में सर्दी एवं मौसमी बीमारियों को देखते हुए कोविड, स्वाइन फ्लू एवं इन्फ्लूएंजा से संक्रमित मरीजों के लिए अलग से बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) एवं अंत:रोगी विभाग (आईपीडी) की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये हैं। इसके अलावा कोविड के मामलों में नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग कराने के निर्देश दिये गये हैं। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. रवि प्रकाश माथुर की ओर से जारी इस पत्र में बताया कि जनवरी 2024 से मार्च तक राजस्थान में स्वाइन फ्लू और कोविड के 921 मामले सामने आये थे। सर्दियों के मौसम में ये मामले ज्यादा आये थे।
पत्र में कहा गया है कि इसे देखते हुए इस बार भी सभी को अलर्ट रहने और लक्षण वाले मरीज दिखने पर उसका प्रोटोकॉल के तहत इलाज करने के लिए कहा गया है। निदेशक ने अपने पत्र में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों, अस्पताल के अधीक्षकों एवं प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये हैं। इसमें सरकारी अस्पतालों के अधीक्षकों को स्वाइन फ्लू और कोविड के संदिग्ध मरीजों के लिए अलग से ओपीडी, आईपीडी की व्यवस्था करने को कहा गया है।
एचएमपी वायरस से घबराने की जरूरत नहीं : खींवसर
राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि देश में कुछ राज्यों में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) के कुछ मामले सामने आये हैं, लेकिन इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। खींवसर ने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, यह वायरस वर्ष 2001 से मौजूद है, लेकिन रोगियों पर इसका प्रभाव सामान्य रहा है। इस वायरस से मौत का कोई मामला और चिंताजनक स्थिति सामने नहीं आयी है।
खींवसर ने कहा कि प्रतिवर्ष की भांति सर्दी के मौसम को देखते हुए बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्ति सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार आदि होने पर अस्पताल में चिकित्सक से परामर्श लें। मंत्री ने कहा कि खांसी-जुकाम जैसे सामान्य लक्षणों के साथ सर्दी के मौसम में आमतौर पर कुछ मामले इस वायरस के सामने आते रहे हैं। विगत मार्च से दिसम्बर तक देशभर में नौ मामले चिन्हित हुए हैं।
चिकित्सा मंत्री ने कहा है कि केंद्र सरकार के अनुसार एचएमपी वायरस का प्रसार वर्तमान में नगण्य है लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर प्रदेशभर में चिकित्सा अधिकारियों को सजग एवं सतर्क रहने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही, जांच, उपचार सहित अन्य आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने को भी कहा गया है। मंत्री ने कहा कि किसी भी अस्पताल में इस वायरस के लक्षणों से संबंधित गंभीर रोगी के सामने आने पर इन प्रयोगशाला में जांच करवाई जा सकती है।