Zakir Hussain Death: संगीत की दुनिया ने खो दिया एक महान सितारा | Sanmarg

Zakir Hussain Death: संगीत की दुनिया ने खो दिया एक महान सितारा

नई दिल्ली: दुनिया के महानतम तबला वादकों में से एक, उस्ताद जाकिर हुसैन का सोमवार सुबह अमेरिका में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से फेफड़े से जुड़ी गंभीर बीमारी “इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस” से जूझ रहे थे। इस दौरान उनका इलाज सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में चल रहा था, जहाँ उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था। परिवार ने उनके निधन की पुष्टि की, और बताया कि यह दुखद घटना एक संगीतकर्मी के रूप में उनकी अनमोल विरासत का अंत है। उस्ताद जाकिर हुसैन, जिन्हें संगीत की दुनिया में तबले की एक अलग पहचान मिली थी, का जन्म 9 मार्च 1951 को हुआ था। वह उस्ताद अल्ला रक्खा खां के पुत्र थे और उन्हें संगीत की शुरुआत अपने पिता से ही मिली थी। महज 11 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया था, और फिर अगले 62 सालों तक तबले के साथ उनका जुड़ाव कायम रहा। उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपनी कला से न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया, बल्कि उसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी बेजोड़ कला और समर्पण को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1992 में “द प्लेनेट ड्रम” और 2009 में “ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट” के लिए ग्रैमी अवॉर्ड प्राप्त किए, और 2024 में एक साथ तीन ग्रैमी अवॉर्ड्स जीते। भारतीय सरकार ने भी उन्हें उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से नवाजा।

 

उस्ताद जाकिर हुसैन का तबला वादन हमेशा श्रोताओं को एक नई ध्वनि और अनुभूति प्रदान करता था। वे शास्त्रीय संगीत में ताजगी लाने के लिए कभी-कभी अपने तबले से बारिश की बूंदों, डमरू और शंख जैसी ध्वनियां निकालते थे, जिससे संगीत में जीवन की गूंज सुनाई देती थी। उनका मानना था कि संगीत और ताल की दुनिया हम सभी को जोड़ने का माध्यम है, और वे इसे हमेशा आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते थे। न केवल संगीतकार, बल्कि एक अभिनेता भी रहे उस्ताद जाकिर हुसैन ने 1983 में फिल्म हीट एंड डस्ट से अभिनय की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने द परफेक्ट मर्डर, मिस बैटीज चिल्डर्स और साज जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया। उनके निधन पर संगीत प्रेमियों और हस्तियों ने सोशल मीडिया पर गहरी संवेदना व्यक्त की। उस्ताद जाकिर हुसैन ने एक असाधारण विरासत छोड़ी है, जो आने वाली पीढ़ियों तक गूंजती रहेगी। उनका संगीत और उनका योगदान शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक अमूल्य धरोहर के रूप में हमेशा जीवित रहेगा।

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