धर्मस्थल (कर्नाटक) : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमें वीआईपी संस्कृति को खत्म करना चाहिए, खासकर मंदिरों में क्योंकि वीआईपी दर्शन का विचार ही देवत्व के खिलाफ है। उन्होंने लोगों से विघटनकारी राजनीति से ऊपर उठने और देश को 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करने का आह्वान किया। धनखड़ ने कहा, ‘जब किसी को वरीयता दी जाती है और प्राथमिकता दी जाती है एवं जब हम उसे वीवीआईपी या वीआईपी कहते हैं तो यह समानता की अवधारणा को कमतर आंकना है। वीआईपी संस्कृति एक पथभ्रष्टता है। यह एक अतिक्रमण है। समानता के नजरिए से देखा जाए तो समाज में इसका कोई स्थान नहीं होना चाहिए, धार्मिक स्थलों में तो बिल्कुल भी नहीं।’ धनखड़ यहां श्री मंजूनाथ मंदिर में देश के सबसे बड़े ‘क्यू कॉम्प्लेक्स’ (प्रतीक्षा परिसर) का उद्घाटन कर रहे थे। इस सुविधा को ‘श्री सानिध्य’ के नाम से जाना जाता है।
मंदिरों में वीआईपी संस्कृति बंद हो : धनखड़
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