अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग : इसरो की नजर एक और तकनीकी उपलब्धि पर
श्रीहरिकोटा : भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी- अंतरिक्ष ‘डॉकिंग’ का प्रदर्शन करने वाले इसरो के दो अंतरिक्ष यान सोमवार की देर रात सफलतापूर्वक एक दूसरे से अलग हो गये और उन्हें वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
सात जनवरी को हो सकती है ‘डॉकिंग’ की प्रक्रिया पूरी
मिशन के निदेशक एम जयकुमार ने कहा कि पीएसएलवी-सी60 मिशन को पूरा कर लिया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि रॉकेट ने 15 मिनट से अधिक की उड़ान के बाद उपग्रहों को 475 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित कर दिया है और ‘स्पाडेक्स’ उपग्रह एक के पीछे एक चले गये हैं, और समय के साथ, ये आगे की दूरी तय करेंगे और उनके करीब 20 किलोमीटर दूरी तय करने के बाद ‘डॉकिंग’ की प्रक्रिया शुरू होगी। सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण केंद्र में अपने संबोधन में कहा कि हमें उम्मीद है कि डॉकिंग प्रक्रिया में एक और सप्ताह का समय लग सकता है और यह बहुत कम समय में…करीब सात जनवरी को होने जा रहा है।
पीओईएम-4 मिशन में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा
सोमनाथ ने कहा कि इस मिशन में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा पीओईएम-4 है, जिसमें स्टार्टअप, उद्योग, शिक्षा जगत और इसरो केंद्रों से 24 पेलोड हैं। सोमनाथ ने बाद में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पत्रकारों से कहा कि पीएसएलवी-सी60 मिशन ने 220 किलोग्राम वजन वाले दो स्पाडेक्स उपग्रहों को 475 किलोमीटर की वांछित वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया है जबकि पहले 470 किलोमीटर की दूरी तय की गयीथी। इस मिशन में पीओईएम-4 भी है, जिसमें अनुसंधान और विकास के लिए 24 पेलोड हैं। उन्हें अगले दो महीनों में प्रयोग करने के लिए (पीएसएलवी रॉकेट के) चौथे चरण से जोड़ा जायेगा। पीएसएलवी रॉकेट के ऊपरी चरण को 350 किलोमीटर की निचली कक्षा में लाया जायेगा और यह प्रक्रिया अभी जारी है। उसके बाद हम कई और गतिविधियां करेंगे।
एक दूसरे से सफलतापूर्वक अलग हो गये ‘डॉकिंग’ का प्रदर्शन करने वाले दो अंतरिक्ष यान
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