अगरतला : बांग्लादेश में भारतीय ध्वज का अपमान किए जाने के मद्देनजर ‘ऑल त्रिपुरा होटल एंड रेस्टोरेंट ओनर्स एसोसिएशन (एटीएचआरओए)’ ने बांग्लादेशी पर्यटकों को अपनी सेवाएं उपलब्ध नहीं कराने का निर्णय लिया है।
एटीएचआरओए के महासचिव सैकत बंद्योपाध्याय ने बताया कि यह निर्णय सोमवार को हुई एक आपातकालीन बैठक में लिया गया। उन्होंने कहा, ‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। हमारे राष्ट्रध्वज का अपमान किया गया और बांग्लादेश में कट्टरपंथियों का एक वर्ग अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कर रहा है। पहले भी ऐसी घटनाएं होती थीं, लेकिन अब सभी हदें पार हो गयी हैं। बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति वास्तव में चिंताजनक है। हम बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ किए जा रहे व्यवहार की निंदा करते हैं।’ इससे पहले, निजी अस्पताल ‘आईएलएस हॉस्पिटल’ ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर किए जा रहे अत्याचारों के विरोध में बांग्लादेश के किसी भी मरीज का इलाज नहीं करने की घोषणा की थी।
4 पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई : अगरतला में स्थित बांग्लादेश सहायक उच्चायोग परिसर में घुसपैठ के सिलसिले में चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी और सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पश्चिम त्रिपुरा के एसपी किरण कुमार के ने बताया कि कथित लापरवाही के लिए तीन उपनिरीक्षकों को निलंबित कर दिया गया है और एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) को कहा गया है कि वे पुलिस मुख्यालय में रिपोर्ट करें। एसपी ने कहा, ‘इस घटना को लेकर न्यू कैपिटल कॉम्प्लेक्स (एनसीसी) पुलिस स्टेशन में स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया गया है। घटना में कथित संलिप्तता के लिए अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।’ एसपी ने कहा कि पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने बताया कि घटना के बाद वाणिज्य दूतावास में सुरक्षा बढ़ा दी गयी तथा सीआरपीएफ और त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) के जवानों को तैनात किया गया। यह घटना सोमवार को उस समय हुई, जब हिंदू संघर्ष समिति के कार्यकर्ता, हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। घटना की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा, ‘विरोध रैली के दौरान युवाओं के एक समूह ने अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग कार्यालय में घुसने की कोशिश की। मैं घटना की निंदा करता हूं। शांतिपूर्ण विरोध की अनुमति दी जा सकती है लेकिन इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य नहीं है।’