भारत ने चीन की ब्रह्मपुत्र पर बांध परियोजना पर भी जतायी गंभीर चिंता, दिये सख्त संदेश
नयी दिल्ली : भारत ने उसने होटन प्रांत में दो नये काउंटी की घोषणा पर शुक्रवार को चीन के समक्ष ‘कड़ा विरोध’ दर्ज कराते हुए कहा कि इनके कुछ हिस्से केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के दायरे में आते हैं। भारत ने चीन से यह भी सुनिश्चित करने काे कहा कि उसकी ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाने की योजना का इसके निचले इलाके वाले राज्यों के हितों को नुकसान न पहुंचे।
‘अवैध’ चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यहां बताया कि भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि नये काउंटी बनाने से न तो क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता के संबंध में दीर्घकालिक और सतत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही इससे चीन के ‘अवैध और जबरन कब्जे’ को वैधता मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत ने इस क्षेत्र में ‘अवैध’ चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। हमने चीन के होटन प्रांत में दो नये काउंटी बनाने से संबंधित घोषणा पर गौर किया है। इन तथाकथित काउंटी के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं। जायसवाल ने कहा कि हमने राजनयिक माध्यमों से चीनी पक्ष के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है। चीन की बांध परियोजना पर जायसवाल ने गत 25 दिसंबर को सिन्हुआ द्वारा जारी जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि हमने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग त्संगपो नदी पर प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना के बारे में सुना है। हमने चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र नदी के निचले राज्यों के हितों को ऊपरी क्षेत्रों में हो रही गतिविधियों से कोई नुकसान न पहुंचे।
भारत क्यों है चिंतित
गौरतलब है कि चीन दुनिया के सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस बांध से भी तीन गुना बड़ा बांध ब्रह्मपुत्र पर बनाने जा रहा है जो भारत के लिए चिंता की एक नयी और बड़ी वजह बनने जा रहा है। ब्रह्मपुत्र जो चीन के स्वायत्तशासी तिब्बत प्रांत में मानसरोवर झील के करीब चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से निकलती है उसे चीन में यार्लुंग सांगपो कहा जाता है। इस नदी पर चीन पहले ही कई बड़े बांध बना चुका है। अब दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की तैयारी है।
ब्रहमपुत्र के भारत में प्रवेश से ठीक पहले बनेगा बांध!
कुल मिलाकर करीब 2900 किलोमीटर लंबी ब्रह्मपुत्र हिमालय के उस पार तिब्बत के पठार पर 2057 किलोमीटर दूर तक पश्चिम की ओर बहती है और उसके बाद अरुणाचल प्रदेश से होकर भारत में प्रवेश करती है। भारत के बाद ये बांग्लादेश जाती है और फिर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है लेकिन भारत में प्रवेश से ठीक पहले यह एक तीव्र यू टर्न लेती है और यही वह इलाका है जहां चीन दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाने जा रहा है, जिसे ‘ग्रेट बेंड डैम’ भी कहा जा रहा है।
पूरा इकोसिस्टम को प्रभावित होगा
आशंका जतायी जा रही है कि इससे चीन ब्रह्मपुत्र के पानी पर नियंत्रण कर सकेगा। बांध के बड़े जलाशय में अपनी जरूरत के अनुसार पानी रोक सकेगा और जरूरत के हिसाब से छोड़ सकेगा। अगर कभी चीन अचानक पानी छोड़ दे तो भारत में ब्रह्मपुत्र के आसपास के इलाकों में बाढ़ आ सकती है। यह बांध ब्रह्मपुत्र के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) को प्रभावित करेगा। उसमें रहने वाले जलीय जीव जंतुओं पर इसका असर पड़ना तय है।
भारत ने होटन क्षेत्र में दो नये काउंटी बनाने पर चीन के समक्ष दर्ज कराया कड़ा विरोध
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