धार : मध्य प्रदेश पुलिस ने धार जिले के पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी के 337 टन जहरीले अपशिष्ट के नियोजित निपटान का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ 5 मामले दर्ज किए हैं। शनिवार को एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
जहरीला अपशिष्ट के ‘रामकी एनवायरो कंपनी’ में पहुंचने के बाद शुक्रवार को जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन हुए। इस संयंत्र में कचरे का भस्मीकरण किया जाना है। विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए अधिकारियों ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी, जिसके तहत ‘रामकी एनवायरो’ के आसपास पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पुलिस एसपी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि विरोध प्रदर्शन कर शांति भंग करने के लिए शुक्रवार रात पांच अलग-अलग मामले दर्ज किए गए है। उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में लोगों को नामजद किया गया है, जबकि अन्य में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। एसपी ने बताया कि शनिवार सुबह पीथमपुर कस्बे में स्थिति सामान्य रही और सभी औद्योगिक प्रतिष्ठान में काम सुचारू रूप से जारी है। पुलिस के अनुसार, पीथमपुर सेक्टर-1 थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 285 (किसी भी सार्वजनिक रास्ते में किसी व्यक्ति को खतरा या चोट पहुंचाना), 126 (2) (किसी व्यक्ति की आवाजाही में जानबूझकर बाधा डालना), 190 (अवैध तरीके से सभा करना), 191 (दंगा) और अन्य धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान 500-600 लोगों की भीड़ ‘रामकी ग्रुप’ के औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रा. लि. परिसर में घुस गयी थी, लेकिन पुलिस ने समय रहते उन्हें तितर-बितर कर दिया। पीथमपुर बचाओ समिति द्वारा बंद के आह्वान के बीच शहर के कई हिस्सों में प्रदर्शन के दौरान दो लोगों ने आत्मदाह का प्रयास किया लेकिन साथी प्रदर्शनकारियों ने आग बुझाने के लिए हस्तक्षेप करके उनके प्रयास को तुरंत विफल कर दिया और पीड़ितों को तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार रात स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और मामले पर ताजा स्थिति के बारे में अदालतों को अवगत कराने तथा मामले में अदालत के अगले आदेश तक कोई कदम नहीं उठाने का निर्णय लिया। यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और हाई कोर्ट के आदेश के अनुरूप सुरक्षा मापदंडों का पालन करते हुए ही कचरा पहुंचाया गया है। अदालत ने 4 जनवरी से पहले कचरे को निर्धारित स्थान पर पहुंचाने की समयसीमा दी थी। यादव ने कहा कि उन्होंने मौजूदा हालात का संज्ञान लिया है और ऐसी परिस्थितियों में अगर जनता में सुरक्षा को लेकर कोई खतरा या भय की भावना पैदा होती है तो राज्य सरकार इस विषय को अदालत के समक्ष रखने का प्रयास करेगी।
गैस त्रासदी अपशिष्ट निपटान : प्रदर्शनकारियों पर 5 मामले दर्ज
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