बांग्लादेश में तख्तापलट | Sanmarg

बांग्लादेश में तख्तापलट

फिर 1971 जैसे हालात, देश से हिन्दुओं का पलायन शुरू

प्रधानमंत्री आवास में घुसे उपद्रवी, सेना ने रोका ही नहीं

सेना ने हसीना को देश छोड़ने के लिए दिए मात्र 45 मिनट

ढाका : बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्‍तापलट कर दिया गया। हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया। अब अंतरिम सरकार कार्यभार संभालेगी। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने हसीना की सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच एक नाटकीय घटनाक्रम में उनके इस्तीफे की घोषणा की। वकार ने सोमवार को टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा कि मैं देश की सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं। सेना ने देश की प्रमुख पार्टियों के नेताओं के साथ बैठक की है। 18 सदस्यीय अंतरिम सरकार प्रस्तावित की गई है। सेना इस सरकार को बनाएगी। बैठक में हालांकि हसीना की अवामी लीग पार्टी का कोई नेता मौजूद नहीं था।

सेना प्रमुख वकार सोमवार को को शेख हसीना से मिलने पहुंचे। उन्हें प्रधानंमत्री पद से इस्तीफा देकर 45 मिनट में देश छोड़ने को कहा। हसीना से इस्तीफे पर हस्ताक्षर करवाये और राष्ट्रपति को सौंप दिया। सेना प्रमुख ने हसीना को प्रधानमंत्री आवास से उनकी बहन के साथ सुरक्षित बाहर निकाला। वे देश छोड़ने से पहले राष्ट्र को संबोधित करना चाहती थीं, लेकिन उनके प्रस्ताव को नहीं माना गया।

हसीना का 15 साल का शासन समाप्त : बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबर रहमान की बेटी हसीना (76) 2009 से सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बांग्लादेश की बागडोर संभाल रही थीं। उन्हें जनवरी में हुए 12वें आम चुनाव में लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री चुना गया। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके सहयोगियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था। जेल में बंद खालिदा जिया को देर रात रिहा करने के आदेश दे दिए गए।

प्रदर्शन की वजह : गत महीने शुरू हुए विरोध प्रदर्शन, 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण देने वाली कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग के साथ शुरू हुए थे, जो बाद में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गए। विरोधी दलों ने इसे हवा दी, सेना अध्यक्ष्‍ा ने उपद्रवियों पर गोली न चलाने का आदेश दिया और देखते ही देखते उपद्रवी प्रधानमंत्री आवास में जा घुसे, सेना ने रोकने का प्रयास तक नहीं किया। उन्होंने वहां जमकर तोड़फोड़ व लूटपाट की। इसी के बाद हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

1971 जैसे हालात : जानकारी के अनुसार वहां 1971 जैसे हालात हो गए हैं और हिन्दुओं पर हमले बढ़ गए हैं, हिन्दुओं का पलायन भी शुरू हो गया है। (शेष पृष्ठ 10 पर)

24 घंटे में 107 से अधिक की मौत : बांग्लादेश में हजारों प्रदर्शनकारियों के ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ के लिए एकत्रित होने के दौरान सोमवार को फिर से हुई हिंसा में छह लोगों की मौत हो गयी। यह मौतें जात्राबाड़ी और ढाका मेडिकल कॉलेज इलाकों में पुलिस तथा प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के दौरान हुईं। इससे एक दिन पहले, प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में रविवार को हुई झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 101 लोगों की मौत हो गयी। हिंसा के कारण प्राधिकारियों को मोबाइल इंटरनेट बंद करना पड़ा और पूरे देश में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लागू करना पड़ा।

कुछ दिन पहले मारे गये थे दो सौ से अधिक लोग : कुछ दिन पहले भी पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में 200 से अधिक लोग मारे गए थे। ये प्रदर्शनकारी विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। उसके बाद से 11 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

सेना प्रमुख की गोली न चलाने की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री आवास पर धावा, लूटपाट : सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां द्वारा प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की घोषणा और प्रदर्शनकारियों पर सेना और पुलिस द्वारा गोली न चलाने के आदेश के बाद देश भर में उत्साही भीड़ अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आई। हजारों प्रदर्शनकारियों ने सैन्य कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए उनके सरकारी आवास पर धावा बोल दिया। हालांकि, वे अपने आवास पर नहीं थीं। उन्होंने राजधानी ढाका में हसीना के आधिकारिक आवास ‘गणभवन’ में तोड़फोड़ और लूटपाट की। वे गणभवन परिसर में हाथ हिलाकर जश्न मनाते देखे गए। उनमें से कई लोग गणभवन का सामान लेकर चले गये। प्रदर्शनकारी ढाका में हसीना के पिता एवं 1971 के मुक्ति संग्राम के नायक शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा पर चढ़ गये और हथौड़ों से उसे तोड़ दिया। धानमंडी और ढाका में हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यालय को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया और सरकार विरोधी नारे लगाए। उन्होंने राजधानी में गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल के आवास पर भी हमला किया और तोड़फोड़ और आगजनी की।

इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र क्षतिग्रस्त किया : ढाका के धानमंडी इलाके में स्थित इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र को भी एक उपद्रवी भीड़ ने क्षतिग्रस्त कर दिया। यह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद का सांस्कृतिक केंद्र है। इस केंद्र में भारतीय कला, संस्कृति, राजनीति, अर्थशास्त्र और कथा साहित्य के क्षेत्रों में 21,000 से अधिक पुस्तकों वाला एक पुस्तकालय है। यह सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सांस्कृतिक संगोष्ठियों, कार्यशालाओं का आयोजन करने तथा योग, हिंदी भाषा, भारतीय शास्त्रीय संगीत और कथक तथा मणिपुरी जैसे भारतीय नृत्यों के लिए भारतीय गुरुओं, पेशेवरों और प्रशिक्षकों को नियुक्त कर भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देता है।

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