लेगो ने जगायी अनगिनत मरीजों में आशा की किरण
पासीघाट : अरुणाचल प्रदेश में सदियों पुराने रहस्यों को खुद में छिपाए रखने वाले हरे-भरे जंगल में पद्मश्री यानुंग जामोह लेगो भारत की प्राकृतिक संपदा को फिर से सामने लाने के अभियान पर हैं। लेगो को ‘जड़ी-बूटियों की आदि रानी’ के रूप में भी जाना जाता है जो पिछले तीन दशक से अधिक समय से जड़ी बूटियों से कैंसर और गुर्दे की लंबी बीमारियों का उपचार कर रहीं हैं। उनके काम ने अनगिनत मरीजों के लिए आशा की किरण जगायी है।
भारत बन रहा विदेशियों दवा कंपनियों के लिए एटीएम
लेगो का कहना हैं कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत, विदेशियों (दवा कंपनियों, अस्पतालों) के लिए एटीएम बनता जा रहा है और विदेशी भारत से इसे प्राप्त कर रहे हैं। मैं बीमारियों को खत्म करना चाहती हूं लेकिन कुछ लोगों ने इसे अपना धंधा बना लिया है। उनका दृढ़ विश्वास है कि हर बीमारी का समाधान जंगल में है। उन्होंने कहा कि जंगल है तो सब कुछ मंगलकारी होगा। इसीलिए जंगल के पशु-पक्षी बीमार नहीं पड़ते। उनका मानना है कि प्रकृति मानवीय बीमारियों का समाधान रखती है, उन्होंने जड़ी बूटी से कैंसर, ट्यूमर और फेफड़ों की बीमारियों का इलाज करके इसे सिद्ध किया है। लेगो के पास देश और विदेशों से मरीज आते हैं। वे शांत भाव से कहती हैं, कि कैंसर का इलाज आसान है।
‘प्राकृतिक चीजें खाने वाले को कैंसर नहीं होता’
लेगो कहती हैं कि जो व्यक्ति रसायन खाता है, उसे कैंसर हो जाता है। जो व्यक्ति प्राकृतिक चीजें खाता है, उसे कभी कैंसर नहीं होता। उनका दावा है कि उनके द्वारा किये गये उपचार से कुछ रोगियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, उपचार के कुछ ही दिनों में कैंसर ठीक हो गया। अपनी सफलता के बावजूद लेगो को खासकर आधुनिक चिकित्सा के चिकित्सकों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है और वे खुलकर कहती हैं कि मेरे ज्यादातर दुश्मन आधुनिक चिकित्सा के चिकित्सक हैं। लेगो कृषि विज्ञान में एमएससी हैं और उपचार करने का पेशा अपनाने से पहले वे एक सरकारी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थीं। लेगो को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस साल अप्रैल में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। एजेंसियां