‘किसानों को राजमार्गों को बाधित न करने के लिए राजी करें दल्लेवाल’
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों से कहा है कि लोगों को असुविधा पहुंचाए बिना शांतिपूर्ण विरोध करें और लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजमार्गों को बाधित करने और लोगों को असुविधा पहुंचाने से बचें।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत के पीठ ने साथ ही कहा कि हम इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं कि विरोध सही है या गलत, अपनी मांग रखना किसानों का हक है लेकिन अन्य लोगों को उनके प्रदर्शन से असुविधा नहीं होनी चाहिए। शीर्ष न्यायालय की ये टिप्पणी ऐसे वक्त पर आयी है जब किसानों द्वारा नोएडा से दिल्ली मार्च किया जा रहा है। पीठ ने पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल मामले में कहा कि वे प्रदर्शनकारी किसानों को राजमार्गों को बाधित न करने और लोगों को असुविधा न पहुंचाने के लिए राजी करें। दल्लेवाल को गत 26 नवंबर को पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी विरोध स्थल से हटा दिया गया था। दल्लेवाल की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि हमने देखा है कि उन्हें रिहा कर दिया गया है और उन्होंने शनिवार को एक साथी प्रदर्शनकारी को अपना आमरण अनशन समाप्त करने के लिए राजी भी किया।
लंबित मामलों पर चल रहा विचार
पीठ ने कहा कि किसानों द्वारा उठाये गये मुद्दे को अदालत ने नोट किया है और लंबित मामले में इस पर विचार किया जा रहा है। आप सभी जानते हैं कि खनौरी सीमा पंजाब के लिए जीवन रेखा है। पीठ ने दल्लेवाल की ओर से पेश वकील से कहा कि दल्लेवाल प्रदर्शनकारियों को कानून के तहत शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए राजी कर सकते हैं और ताकि लोगों को कोई असुविधा नहीं पहुंचे।
सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा मामला
दल्लेवाल को 26 नवंबर को अपना आमरण अनशन शुरू करने से कुछ घंटे पहले कथित तौर पर खनौरी सीमा से जबरन हटा दिया गया और लुधियाना के एक अस्पताल में ले जाया गया। शुक्रवार शाम को उन्हें छुट्टी दे दी गयी। पंजाब पुलिस द्वारा उनकी कथित अवैध हिरासत को चुनौती देते हुए 29 नवंबर को शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी। रिहा होने के एक दिन बाद 30 नवंबर को, दल्लेवाल किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए खनौरी सीमा बिंदु पर आमरण अनशन में शामिल हो गये। किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। वहां सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली कूच से रोक दिया था। गौरतलब है कि प्रदर्शनकारियों ने केंद्र पर उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम न उठाने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि 18 फरवरी के बाद से केंद्र ने एमएसपी के लिए कानून सहित उनके मुद्दों पर उनसे कोई बातचीत नहीं की है।
शांतिपूर्ण विरोध करें, लोगों को असुविधा न पहुंचाएं : सुप्रीम कोर्ट की किसानों को सलाह
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