Sawan Third Somwar 2024: सावन का तीसरा सोमवार है विशेष, इस … | Sanmarg

Sawan Third Somwar 2024: सावन का तीसरा सोमवार है विशेष, इस …

कोलकाता :  सावन का महीना हिंदू धर्म का सबसे पवित्र महीना है, जोकि भगवान शिव को बहुत प्रिय है। साथ ही शास्त्रों में सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। यही कारण है कि सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन का महत्व काफी बढ़ जाता है। इस वर्ष सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हुई थी, जिसका समापन 19 अगस्त 2024 को होगा। सावन की शुरुआत और समाप्ति दोनों सोमवार के दिन ही होगी। ऐसे में इस बार सावन में कुल 5 सोमवार व्रत रखे जा रहे हैं। अब तक दो सावन सोमवार व्रत पूर्ण हो चुके हैं और 5 अगस्त को सावन का तीसरा सोमवार व्रत रखा जाएगा।

शिवजी की कृपा पाने के लिए इस दिन आप व्रत-पूजन कर सकते हैं। आइये जानते हैं सावन का तीसरा सोमवार व्रत की पूजा विधि, भोग, मंत्र और व्रत कथा के बारे में-

तीसरा सावन सोमवार मुहूर्त

सावन महीने का तीसरा सोमवार व्रत 5 जुलाई 2024 को रखा जाएगा। यह सावन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। प्रतिपदा तिथि शाम 06:03 तक रहेगी फिर द्वितीया तिथि लग जाएगी। इस दिन व्यतीपात और वरीयान योग भी रहेगा। साथ ही आश्लेषा और मघा नक्षत्र भी रहेगा।

सावन के तीसरे सोमवार में इस तरह करें पूजा

सावन के तसीरे सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें। फिर भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। आप शिव मंदिर जाकर या घर पर भी सावन सोमवार की पूजा कर सकते हैं। पूजा के लिए आप सबसे पहले शिवजी का अभिषेक करें। इसके बाद भगवान को सफेद चंदन का तिलक जलाएं, फूल, फल और मिष्ठान का भोग लगाकर धूप-दीप जलाएं और फिर शिव मंत्रों का जाप करें।

पूजा में धतूरा, बेलपत्र और भांग जरूर अर्पित करें। सावन सोमवार की व्रत कथा पढ़ें और आखिर में भगवान शिव की आरती करें। सावन सोमवार पर पूरे दिन व्रत रखें या फलाहार रहें।

भगवान शिव को लगाएं इन चीजों का भोग

सावन सोमवार की पूजा में भगवान शिव को आप हलवा, दही, भांग, पंचामृत, शहद, दूध, खीर, मालपुआ और ठंडाई आदि का भोग लगा सकते हैं। ये सभी भगवान शिव के प्रिय भोग हैं। भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करें- त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

इन मंत्रों का करें जाप

ॐ नमः शिवाय॥ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ॐ नमो भगवते रूद्राय।ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

सावन सोमवार की व्रत कथा

सावन सोमवार के दिन पूजा करने और व्रत रखने वालों को इससे संबंधित व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। व्रत कथा पढ़े या सुने बिना व्रत संपन्न नहीं माना जाता है। आइये जानते हैं सावन सोमवार से जुड़ी व्रत कथा।

पौराणिक कथा के अनुसार, किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसे धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन कमी थी तो केवल संतान की। साहूकार भगवान शिव का भक्त था और प्रतिदिन उनका पूजन करता था। साहूकार की भक्ति देख एक दिन माता पर्वती ने भोलेनाथ से कहा, आपका यह भक्त दुखी है। इसलिए आपको इसकी इच्छा पूरी करनी चहिए। भोलेनाथ ने माता पार्वती से कहा कि, इसके दुख का कारण यह है कि इसे कोई संतान नहीं है।

लेकिन इसके भाग्य में पुत्र योग नहीं है। यदि उसे पुत्र प्राप्ति का वारदान मिल भी गया तो उसका पुत्र सिर्फ 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। शिवजी की ये बातें साहूकार भी सुन रहा था। ऐसे में एक ओर जहां साहूकार को संतान प्राप्ति की खुशी हुई तो वहीं दूसरी ओर निराशा भी, लेकिन फिर भी वह पूजा-पाठ करता रहा।

एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई। उसने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। देखते ही देखते बालक 11 वर्ष का हो गया और साहूकार ने शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसे मामा के पास काशी भेज दिया। साथ ही साहूकार ने अपने साले से कहा कि, रास्ते में ब्राह्मण को भोज करा दें।

काशी के रास्‍ते में एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था, जिसका दुल्हा एक आंख से काना था। उसके पिता ने जब अति सुंदर साहूकार के बेटे को देखा तो उनके मन में विचार आया कि क्‍यों न इसे घोड़ी पर बिठाकर शादी के सारे कार्य संपन्‍न करा लिया जाए। इस तरह से विवाह संपन्न हुआ। साहूकार के बेटे ने राजकुमारी की चुनरी पर लिखा कि, तुम्हारा विवाह मेरे साथ हो रहा है, लेकिन मैं असली राजकुमार नहीं हूं, जो असली दूल्हा है, वह एक आंख से काना है, लेकिन विवाह हो चुका था और इसलिए राजकुमारी की विदाई असली दूल्हे के साथ नहीं हुई।

इसके बाद साहूकार का बेटा अपने मामा के साथ काशी आ गया। एक दिन काशी में यज्ञ के दौरान भांजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया, जब उसके मामा ने कमरे के भीतर जाकर देखा तो भांजे को मृत पाया। सभी ने रोना-शुरू कर दिया। माता पार्वती ने शिवजी से पूछा हे, प्रभु ये कौन रो रहा है?

तभी उसे पता चलता है कि यह भोलेनाथ के आर्शीवाद से जन्‍मा साहूकार का पुत्र है, तब माता पार्वती ने कहा स्‍वामी इसे जीवित कर दें अन्‍यथा रोते-रोते इसके माता-पिता के प्राण भी निकल जाएंगे। तब भोलेनाथ ने कहा कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी ही थी जिसे वह भोग चुका है।

लेकिन माता पार्वती के बार-बार कहने पर भोलेनाथ ने उसे जीवित कर दिया। साहूकार का बेटा ऊं नम: शिवाय कहते हुए जीवित हो उठा और सभी ने शिवजी को धन्‍यवाद दिया। इसके बाद साहूकार ने अपने नगरी लौटने का फैसला किया। रास्‍ते में वही नगर पड़ा जहां राजकुमारी के साथ उसका विवाह हुआ था। राजकुमारी ने उसे पहचान लिया और राजा ने राजकुमारी को साहूकार के बेटे के साथ धन-धान्‍य देकर विदा किया।

साहूकार अपने बेटे और बहु को देखकर बहुत खुश हुआ। उसी रात साहूकार को सपने में शिवजी ने दर्शन देते हुए कहा कि तुम्‍हारी पूजा से मैं प्रसन्‍न हुआ। इसलिए तुम्हारे बेटे को दोबारा जीवन मिला है। इसलिए तब से ऐसी मान्यता है कि, जो व्‍यक्ति भगवान शिव की पूजा करेगा और इस कथा का पाठ या श्रवण करेगा उसके सभी दु:ख दूर होंगे और मनोवांछ‍ित फल की प्राप्ति होगी।

 

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