Alert : बायो मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल ऐसे नहीं… | Sanmarg

Alert : बायो मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल ऐसे नहीं…

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाल ही में आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल को लेकर कई प्रकार के गंभीर आरोप संदीप घोष पर लगे थे। वहीं अब पर्यावरणविद डॉ. सुभाष दत्ता की ओर से बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल को लेकर एक याचिका एनजीटी में दायर की गयी है। इस मामले में एनजीटी ने राज्य सरकार समेत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व केंद्रीय नियंत्रण बोर्ड से 4 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी।
बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल में हो रही गड़बड़ी
दायर याचिका में डॉ. सुभाष दत्ता ने आरोप लगाया है कि राज्य में बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल में गड़बड़ी अब लोगों के स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। इस संबंध में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कैग की कई रिपोर्ट पहले ही सामने आ चुकी है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी गयी 2023 की वार्षिक रिपोर्ट में बायो मेडिकल वेस्ट के जेनरेशन और डिस्पोजल में गड़बड़ी स्पष्ट तौर पर दिखती है।
क्या है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में
वर्ष 2023 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में बेडेड अस्पतालों और नर्सिंग होम की संख्या 3209 है जबकि 6718 क्लीनिक व डिसपेंसरी हैं। कुल बेड की संख्या 1,68,323 है ओर प्र​त्येक दिन राज्य में 43120.87 किलो बायो मेडिकल वेस्ट जनरेट होता है। बेडेड अस्पतालों द्वारा 35603.29 किलो बायो मेडिकल वेस्ट जनरेशन बेडेड अस्पतालों द्वारा होता है जबकि नॉन बेडेड अस्पतालों द्वारा 7517.58 किलो बायो मेडिकल वेस्ट जनरेेशन होता है। इनडोर बेडेड अस्पतालों के अलावा भी कई तरह की स्वास्थ्य सेवाएं लोगों को दी जाती हैं जिनमें अस्पतालों में ओपीडी, एमसीएस, मोबाइल मेडिकल कैंप, कुल 106 ब्लड बैंक, मोबाइल ब्लड कलेक्शन सेंटर, डायोग्नोस्टिक सेंटर, वेटनरी अस्पताल, विभिन्न रिसर्च संस्था व आयुष अस्पताल भी शामिल हैं। ऐसे में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दा​खिल की गयी रिपोर्ट असल बायो मेडिकल वेस्ट जनरेशन के आंकड़े को नहीं दर्शाती है। कैग की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि बायो मेडिकल वेस्ट जनरेशन को 49.52% कम करके बताया गया है। साथ ही कहा गया कि वेटनरी और दूसरे वेस्ट अनट्रीटेड रह जाते हैं जिन्हें अनाधिकृत स्थानों पर जला दिया जाता है। मीडिया रिपोर्ट में भी यह बात सामने आयी है कि इस तरह का वेस्ट ग्रे मार्केट में जाता है। इसके अलावा दूसरे वेस्ट से बायो मेडिकल वेस्ट का पृथकीकरण भी सही ढंग से नहीं किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, प्रतिदिन प्रति बेड सर्जिकल दस्तानों से लेकर सलाइन बोतलों, ट्यूबों, सीरिंजों आदि तक को एक बार उपयोग करने, त्यागने, रोगाणुरहित करने और टुकड़े करने के बाद, यह एक रिसाइकिलर से 50 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से 5 रुपये में मिलता है और जब अवैध रूप से बेचा जाता है और पुनः पैक किया जाता है, तो प्रत्येक वस्तु 75-100 रुपये की कुल कीमत के साथ बाजार में वापस आ जाती है यानी लगभग 20 गुना वृद्धि के साथ।

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