एफपीआई ने 4,285 करोड़ रुपये निकाले | Sanmarg

एफपीआई ने 4,285 करोड़ रुपये निकाले

नयी दिल्लीःघरेलू शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन के कारण इस महीने के पहले तीन कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों से पहले 4,285 करोड़ रुपये निकाले हैं। इससे पहले पूरे दिसंबर माह में एफपीआई ने शेयरों में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था। आंकड़ों के अनुसार, एक से तीन जनवरी के दौरान एफपीआई ने 4,285 करोड़ रुपये के शेयर बेचे है। मौजूदा निकासी के रुख से विदेशी निवेशकों के बीच अनिश्चितता का पता चलता है।

क्या है निकासी का कारणः  जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘जबतक डॉलर मजबूत रहेगा और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल आकर्षक रहेगा, तबतक एफपीआई की बिकवाली जारी रहने की संभावना है। डॉलर इंडेक्स इस समय 109 के आसपास है और 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल 4.5 प्रतिशत से अधिक है। इस वजह से एफपीआई निकासी कर रहे हैं।’’ मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘विदेशी निवेशकों ने कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों से पहले सतर्क रुख अपनाया है। इसके अलावा अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित नीतियों और वैश्विक बाजारों पर उनके प्रभाव की वजह से भी निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं।’’

क्या है स्थितिः डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट ने एफपीआई की धारणा को और कमजोर कर दिया है, क्योंकि मुद्रा जोखिम ने भारतीय निवेश को कम आकर्षक बना दिया है। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा इस साल ब्याज दरों में कम कटौती के संकेत भी निवेशकों का भरोसा बढ़ाने में विफल रहे हैं। घरेलू मोर्चे पर बात की जाए, तो एफपीआई मुख्य रूप से ऊंचे मूल्यांकन की वजह से बिकवाली कर रहे हैं।

सतर्क रुख अपनायाः  कुल मिलाकर यह रुझान विदेशी निवेशकों द्वारा सतर्क रुख को दर्शाता है, जिन्होंने 2024 में भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। 2023 में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। वहीं 2022 में एफपीआई ने 1.21 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।

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