हैदराबाद ः अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी के मायने स्पष्ट नहीं है। अमेरिकी कानून इस तरह की कार्रवाई की अनुमति देता है या नहीं, अभी यह देखना बाकी है। आरबीआई के पूर्व प्रमुख दुव्वुरी सुब्बाराव ने यह बात कही। ट्रंप कोई कदम उठाने से अधिक, बातें बनाने के लिए जाने जाते हैं।
उनका गुस्सा खास तौर पर ब्रिक्स पर है जो डॉलर के विकल्प को तलाशने के लिए सक्रिय रूप से विचार कर रहा है। इस धमकी के मायने स्पष्ट नहीं हैं। अमेरिका यह निर्धारित करने के लिए किस पैमाने का इस्तेमाल करेगा कि कोई देश डॉलर के अलावा किसी अन्य मुद्रा में व्यापार न करें? और क्या अमेरिकी कानून केवल इसलिए देशों पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है क्योंकि वे डॉलर से परे किसी अन्य मुद्रा का चयन कर रहे हैं?’’
क्या है मामला ः ब्रिक्स के कुछ सदस्य देश खासकर रूस और चीन पिछले कुछ वर्षों से अमेरिकी डॉलर का विकल्प या अपनी खुद की ब्रिक्स मुद्रा बनाने पर विचार कर रहे हैं। भारत अभी तक इस कदम का हिस्सा नहीं रहा है।
डॉलर के विकल्प पर आंतरिक मतभेद ः सुब्बाराव ने कहा कि ब्रिक्स के लिए भी अमेरिकी डॉलर का विकल्प लाने के बारे में आंतरिक मतभेद हैं। भारत, रूस, चीन और ब्राजील सहित नौ सदस्यों वाले समूह द्वारा अमेरिकी मुद्रा से परे कोई अन्य मुद्रा अपनाने का प्रयास राजनीति और आर्थिक दोनों कारणों से अभी तक सफल नहीं हो पाया है। डोनाल्ड ट्रंप ने डॉलर को छोड़ने की कोशिश करने वाले देशों से आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी दी है।