नयी दिल्ली ः भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के विभिन्न पहलुओं की वाणिज्य मंत्रालय समीक्षा कर रहा है। इसमें अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव प्रचार के दौरान और चुनाव परिणाम के बाद दिए गए बयानों के निहितार्थ पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है।
क्या है मामला ः ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान भारत को आयात शुल्क का ‘दुरुपयोग करने वाला’ कहा था। यह दावा उनके अक्टूबर, 2020 के बयान की याद दिलाता है, जिसमें उन्होंने भारत को ‘टैरिफ किंग’ करार दिया था। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने ब्रिक्स देशों को अमेरिकी डॉलर का विकल्प तलाशने के किसी भी कदम के खिलाफ चेतावनी दी थी और नौ सदस्यीय समूह से प्रतिबद्धता मांगी थी। इस समूह में भारत, रूस, चीन और ब्राजील प्रमुख सदस्य हैं। ऐसे बयानों को देखते हुए व्यापार संबंधों पर विचार-विमर्श करना आवश्यक है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
क्या है स्थिति ः एक अधिकारी ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों में कोई ऐसी बात नहीं है जिससे भारत के विरुद्ध भेदभावपूर्ण शुल्क लगाया जा सके। इधर, विशेषज्ञों ने बार-बार कहा है कि ट्रंप का यह दावा अनुचित है कि भारत आयात शुल्क का ‘दुरुपयोग’ करता है, क्योंकि अमेरिका सहित कई देश कुछ उत्पादों पर उच्च सीमा शुल्क लगाकर अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा करते हैं। अमेरिका अपने कुछ उत्पादों के लिए सीमा शुल्क में कटौती की मांग करता है, तो भारत को भी घरेलू वस्तुओं को अधिक बाजार पहुंच प्रदान करने के लिए इसी तरह की कटौती की मांग करनी चाहिए।
कितना शुल्क लगाता है अमेरिका ः डब्ल्यूटीओ के विश्व शुल्क ‘प्रोफाइल’-2023 के अनुसार, अमेरिका भी डेयरी उत्पादों (188 प्रतिशत), फलों और सब्जियों (132 प्रतिशत), कॉफी, चाय, कोको और मसालों (53 प्रतिशत), अनाज और खाद्य पदार्थ (193 प्रतिशत), तिलहन, वसा और तेल (164 प्रतिशत), पेय पदार्थ और तंबाकू (150 प्रतिशत), मछली और मछली उत्पाद (35 प्रतिशत), खनिज और धातु (187 प्रतिशत), और रसायन (56 प्रतिशत) जैसी वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगाता है।
व्यापार की स्थिति ः वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार था। पिछले वित्त वर्ष में भारत का निर्यात 77.51 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात कुल 42.2 अरब डॉलर रहा।