ईपीएफओ पेंशन 5,000 रुपये करने का आग्रह किया
नयी दिल्लीः श्रमिक संगठनों ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में ईपीएफओ के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन को पांच गुना करने, आठवें वेतन आयोग के तत्काल गठन और अत्यधिक अमीर लोगों (सुपर रिच) पर अधिक कर लगाने की मांग की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ अपनी परंपरागत बजट-पूर्व बैठक में श्रमिक संगठनों के नेताओं ने आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये सालाना करने, अस्थायी कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना लाने और सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने की भी मांग की। सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी। इस क्रम में वह विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श कर रही हैं। ट्रेड यूनियन को-आर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) के राष्ट्रीय महासचिव एसपी तिवारी ने बैठक के बाद कहा कि सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की पहल पर रोक लगानी चाहिए और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि जुटाने के लिए बेहद अमीर लोगों पर अतिरिक्त दो प्रतिशत कर लगाना चाहिए। उन्होंने कृषि क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा दिए जाने और उनकी न्यूनतम मजदूरी भी तय किए जाने की मांग रखी। भारतीय मजदूर संघ के संगठन सचिव (उत्तरी क्षेत्र) पवन कुमार ने कहा कि कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (ईपीएस-95) के तहत देय न्यूनतम पेंशन को पहले 1,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 5,000 रुपये मासिक किया जाना चाहिए और फिर इसमें वीडीए (परिवर्तनीय महंगाई भत्ता) को भी जोड़ा जाना चाहिए।
आयकर छूट की सीमा बढ़ाएंः उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने पेंशन से होने वाली आय को कर से मुक्त किए जाने की मांग भी सरकार से की। कुमार ने यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे को संशोधित करने के लिए आठवें वेतन आयोग का तत्काल गठन किया जाना चाहिए। श्रमिक संगठन भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) के राष्ट्रीय सचिव स्वदेश देव रॉय ने सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों में स्थायी कर्मचारियों की संख्या में आई भारी गिरावट पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में इन उपक्रमों में 21 लाख स्थायी कर्मचारी थे लेकिन 2023-24 में यह संख्या घटकर आठ लाख से थोड़ी अधिक रही।