रक्षा मंत्री ने श्योक सुरंग के उद्घाटन से दुश्मनों के लिए पेश की नई चुनौती

श्योक सुरंग का निर्माण समुद्र तल से लगभग १३,८०० फीट की ऊँचाई पर किया गया है, जहाँ तापमान शून्य से ३०-४० डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है और ऑक्सीजन की भारी कमी रहती है।
रक्षा मंत्री ने श्योक सुरंग के उद्घाटन से दुश्मनों के लिए पेश की नई चुनौती
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लद्दाख: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज लद्दाख के अत्यधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र में ९२० मीटर लंबी श्योक सुरंग का उद्घाटन किया। यह सुरंग सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की महत्वाकांक्षी परियोजना है जो दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएसडीबीओ) मार्ग पर हर मौसम में निर्बाध सड़क संपर्क सुनिश्चित करेगी। यह मार्ग वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट स्थित है और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है।

अत्यंत कठिन परिस्थितियों में निर्माण

श्योक सुरंग का निर्माण समुद्र तल से लगभग १३,८०० फीट की ऊँचाई पर किया गया है, जहाँ तापमान शून्य से ३०-४० डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है और ऑक्सीजन की भारी कमी रहती है। बीआरओ के जवानों ने बेहद प्रतिकूल मौसम, भारी बर्फबारी और तकनीकी चुनौतियों के बावजूद इस सुरंग को मात्र चार वर्षों में पूरा किया। यह सुरंग सर्दियों में बर्फबारी के कारण बंद होने वाले दर्रों को बायपास कर पूरे साल सैन्य और नागरिक आवागमन सुनिश्चित करेगी।

रणनीतिक महत्व

यह सुरंग भारतीय सेना की त्वरित तैनाती क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी। डीएसडीबीओ मार्ग देश का सबसे ऊँचा हवाई पट्टी वाला क्षेत्र है और चीन सीमा से महज कुछ किलोमीटर दूर है। हर मौसम में कनेक्टिविटी मिलने से सैन्य आपूर्ति, सैनिकों की आवाजाही और स्थानीय लोगों के लिए परिवहन में क्रांतिकारी सुधार होगा।

125 बीआरओ परियोजनाओं का लोकार्पण

रक्षा मंत्री ने आज कुल १२५ बीआरओ परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिनकी कुल लागत ४,७३७ करोड़ रुपये है। ये परियोजनाएँ सात राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हैं। इनमें २८ सड़कें, ९३ पुल, एक ३डी-प्रिंटेड आवास परिसर और अन्य नवीन परियोजनाएँ शामिल हैं। इनसे सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा मजबूत होगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

प्रधानमंत्री का विजन साकार

राजनाथ सिंह ने कहा कि ये परियोजनाएँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सीमा से जुड़े अंतिम गाँव तक विकास” के संकल्प का प्रमाण हैं। उन्होंने बीआरओ के जवानों को “कर्मयोगी” बताते हुए उनकी बहादुरी और समर्पण की भूरि-भूरि प्रशंसा की। श्योक सुरंग भारत की सीमा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मजबूत कदम है।

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