– हैकर्स ने गोपनीय दस्तावेजों को चुराया
वॉशिंगटन : साइबर सुरक्षा से जुड़ी प्रमुख कंपनी फायरआई पर हाल ही में हुए साइबर अटैक के बाद अमेरिकी कंपनियों व एजेंसियों ने अपनी साइबर सुरक्षा दुगनी कर दी है। ऐसे में सुरक्षा में सेंध की एक और घटना ने सबको दहलाकर रख दिया है। अमेरिका के परमाणु हथियारों के भंडार की देखरेख करने वाली राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन (एनएनएसए) और ऊर्जा विभाग (डीओई) के नेटवर्क पर बड़ा साइबर हमला हुआ है जिसमें कम से कम आधा दर्जन संघीय एजेंसिया प्रभावित हुई हैं। दावा यह भी किया जा रहा है कि इस दौरान हैकर्स ने बड़ी मात्रा में गोपनीय फाइलें चोरी कर ली हैं।
अमेरिकी सूत्रों के अनुसार, ऊर्जा विभाग के मुख्य सूचना अधिकारी रॉकी कैंपियोन ने इस घटना की पुष्टि की है जिसके बाद राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन और ऊर्जा विभाग की टीम ने हैकिंग से जुड़ी सभी जानकारियों को अमेरिकी कांग्रेस समिति को भेज दी है। अधिकारियों ने कहा है कि हैकर्स ने उनके नेटवर्क से कितनी मात्रा में सूचनाओं को चुराया है इसका अबतक कुछ पता नहीं चल पाया है। उन्होंने दावा किया कि कुछ दिनों के भीतर इसका अनुमान लगा लेंगे।
जिन एजेंसियों में संदिग्ध गतिविधियां नजर आई है उनमें न्यू मैक्सिको और वाशिंगटन की फेडरल एनर्जी रेगुलेटरी कमीशन (एफईआरसी), सैंडिया राष्ट्रीय प्रयोगशाला न्यू मेक्सिको और लॉस अलामोस राष्ट्रीय प्रयोगशाला वॉशिंगटन, राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन का सुरक्षित परिवहन कार्यालय और रिचलैंड फील्ड कार्यालय शामिल हैं। गौरतलब है कि ये सभी विभाग अमेरिका के परमाणु हथियारों के भंडार को नियंत्रित और उनके सुरक्षित परिवहन को सुनिश्चित करते हैं। ऐसे में अमेरिका के लिए यह बेहद नाजुक परिस्थिति है क्योंकि हैकर्स कथित तौर पर चुराए गए गुप्त दस्तावेजों का गलत उपयोग कर सकते हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि ये हैकर्स अन्य एजेंसियों की तुलना में फेडरल एनर्जी रेगुलेटरी कमीशन को अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। अधिकारियों ने कहा है कि इस एजेंसी के नेटवर्क में उन्हें सबसे ज्यादा घुसपैठ के सबूत मिले हैं।
ट्रंप पर लगाया सुरक्षा का कमजोर करने का आरोप
अमेरिका की साइबर सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्य रूप से साइबर सिक्योरिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (सीआईएसए) के पास होती है। सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने इस एजेंसी को काफी कमजोर कर दिया गया।