दक्षिण कोरिया : राष्ट्रपति यून की विदेश यात्रा पर लगाया प्रतिबंध | Sanmarg

दक्षिण कोरिया : राष्ट्रपति यून की विदेश यात्रा पर लगाया प्रतिबंध

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सियोल : दक्षिण कोरिया के न्याय मंत्रालय ने सोमवार को राष्ट्रपति यून सूक येओल की विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि अधिकारी पिछले सप्ताह उनके द्वारा की गई अल्पकालिक ‘मार्शल लॉ’ की घोषणा के संबंध में विद्रोह और अन्य आरोपों की जांच कर रहे हैं। पिछले मंगलवार को यून द्वारा ‘मार्शल लॉ’ लगाये जाने के कारण सियोल की सड़कों पर सशस्त्र विशेष बलों की टुकड़ियां उतर आईं तथा देश में भारी राजनीतिक उथल-पुथल मच गई। साथ ही इसके प्रमुख राजनयिक सहयोगियों एवं पड़ोसी देशों में चिंता पैदा हो गई। यून शनिवार को संसद में विपक्ष के नेतृत्व में उनके खिलाफ लाए गए महाभियोग के प्रयास से बच गए, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी के अधिकांश सांसदों ने मतदान का बहिष्कार किया और राष्ट्रपति पद के अधिकारों को निलंबित करने तथा महाभियोग प्रस्ताव के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत नहीं मिल सका। हालांकि विपक्षी दलों ने इस सप्ताह उनके खिलाफ एक नया महाभियोग प्रस्ताव पेश करने का संकल्प लिया है।

यून के सत्ता कब्जाने से जुड़ी परिस्थितियों की हो रही जांच : न्याय मंत्रालय के एक अधिकारी बे सांग-अप ने संसदीय सुनवाई में बताया कि पुलिस, अभियोजकों और एक भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी के अनुरोध पर यून के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, क्योंकि वे यून के सत्ता कब्जाने से जुड़ी परिस्थितियों की जांच कर रहे हैं। सोमवार को नेशनल पुलिस एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्थानीय पत्रकारों को इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि की जानकारी देते हुए बताया कि अगर (हिरासत की) शर्तें पूरी होती हैं तो पुलिस यून को हिरासत में भी ले सकती है।

राष्ट्रपति को पद पर रहते हुए अभियोजन से छूट प्राप्त: दक्षिण कोरिया के मौजूदा राष्ट्रपति को पद पर रहते हुए अभियोजन से छूट प्राप्त होती है, लेकिन यह विद्रोह या देशद्रोह के आरोपों पर लागू नहीं होता। इसका मतलब यह है कि यून से पुलिस पूछताछ कर सकती है और उन्हें ‘मार्शल लॉ’ के आदेश के लिए हिरासत में ले सकती है। हालांकि, कई पर्यवेक्षकों को इस बात पर संदेह है कि पुलिस उन्हें जबरन हिरासत में लेगी या उनके कार्यालय की तलाशी लेगी क्योंकि इससे राष्ट्रपति की सुरक्षा सेवा के साथ टकराव की आशंका है।

वर्ष 2017 में पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे महाभियोग के जरिये हटाए गये थे : पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे के मामले में, जिन्हें भ्रष्टाचार के एक घोटाले में संसद द्वारा महाभियोग लगाए जाने के बाद 2017 में पद से हटा दिया गया था, अभियोजक उनके कार्यालय की तलाशी लेने में विफल रहे और उन्हें परिसर के बाहर दस्तावेज प्राप्त हुए थे, क्योंकि राष्ट्रपति के अधिकारियों ने सुरक्षा अधिकारियों को बाहर कर दिया था। पद पर रहते हुए अभियोजकों से मिलने से इनकार करने के बाद पार्क को अभियोजकों से पूछताछ का सामना करना पड़ा और संवैधानिक न्यायालय द्वारा उनके महाभियोग को मंजूरी देने तथा मार्च 2017 में उन्हें राष्ट्रपति पद से बर्खास्त करने के फैसले के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

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