
पेरिस : पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में पड़ने वाले दुष्प्रभाव को स्वीकारता है और इस दिशा में सही कदम बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसी संदर्भ में फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों और पर्यावरण संरक्षण के प्रावधानों को देश के संविधान में शामिल किए जाने को लेकर एक जनमत संग्रह कराने की घोषणा की है। पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर नागरिकों के एक समूह के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए मैक्रों ने संविधान में संशोधन की पेशकश की।
फ्रांस को है अपनी गलती का अहसास
बता दें कि इस संशोधन के लिए संसद में वोट और जनमत संग्रह कराने की जरूरत होगी। उन्होंने स्वीकार किया कि फ्रांस, पर्यावरण को हो रहे नुकसान से निपटने के लिए जतायी गयी अपनी प्रतिबद्धताओं के तहत ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है। वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के तहत देश के लिए निर्धारित लक्ष्यों को फ्रांस पूरा नहीं कर पाया और इस दिशा में कदम उठाने में देरी हुई।
55 प्रतिशत कटौती का संकल्प
मैक्रों समेत यूरोपीय संघ के नेताओं ने 2030 तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 40 प्रतिशत के बजाए कम से कम 55 प्रतिशत तक कटौती के लिए कदम उठाने का संकल्प लिया है। मैक्रों ने कहा, ‘हमें आगे बढ़ने की जरूरत है तथा और कदम उठाना आवश्यक है।’