नैप्यीडॉ : भारत और नेपाल की जमीन पर कब्जा करने के बाद अब आक्रामक चीन की नजर म्यामांर की जमीन को हथियाने पर है। चीन ने म्यामांर के शान राज्य से सटी सीमा पर कटीले तार लगाना शुरू कर दिया है। हालांकि म्यामांर की सेना ने इसका खुलकर विरोध कर चीनी अधिकारियों को एक पत्र लिखा है। बता दें कि चीन यह तार म्यामांर सीमा के पास लौक्काई कस्बे में लगाना शुरू किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की इस चाल का उद्देश्य अपनी क्षेत्रीय प्रभुत्व का आभास दिलाना है।
चीन का रवैया पैदा कर सकता है तनाव
म्यामांर के हवाले से आई खबर के मुताबिक, देश की सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने कहा कि चीन ने पोस्ट संख्या बीपी-125 के पास रविवार को बाड़ लगाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि चीन ने कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए इन दिनों म्यामांर से लगती सीमा पर अवैध घुसपैठ के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। मेजर तुन ने कहा, ‘स्थानीय बटैलियन ने चीनी पक्ष को आपत्ति पत्र भेजा है। हमने वर्ष 1961 में हुई सीमा संधि के आधार पर यह आपत्ति जताई है।’
क्या है 1961 की सीमा संधि
इस संधि के प्रावधानों में कहा गया है कि सीमांकन के 10 मीटर के अंदर किसी भी ढांचे का निर्माण नहीं हो सकता है। म्यामांर की सेना की आपत्ति के बाद चीन ने निर्माण कार्य को रोक दिया है। म्यामांर के अधिकारियों ने मौके पर जाकर चीनी निर्माण दल से बात की। चीन ने दावा किया है कि अवैध रूप से लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए वह बाड़ का निर्माण करा रहा है। उधर, इलाके के लोगों ने कहा कि अगर कोई पक्ष सीमा पर बाड़ लगाना चाहता है तो उसे दूसरे पक्ष को अग्रिम सूचना देनी चाहिए।
चीन का बाड़ लगाना ‘एकतरफा कदम’
शान राज्य से सांसद साई तून अए ने कहा कि चीन का बाड़ लगाने का एकतरफा कदम दोनों ही देशों के बीच शक्ति के असंतुलन को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि चीन एक घटिया पड़ोसी की तरह से व्यवहार कर रहा है। तून ने कहा, ‘हमारा देश हर तरफ से कमजोर है। हमने इस तरह की चीनी दादागिरी को हमेशा अनुभव किया है।’ इससे पहले वर्ष 2018 में शान राज्य में चीन और म्यामांर के बीच सीमा विवाद भड़क उठा था। चीन अक्सर बिना बताए इस इलाके में बाड़ लगा देता है और चीनी झंडे वाले खंभे गाड़ देता है। जनवरी 2019 में चीनी सेना ने म्यामांर के झंडे वाले खंभे को उखाड़कर फेंक दिया था।