वॉशिंगटन : अमेरिका ने अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए वेस्ट बैंक और पूर्व येरुशलम पर इजराइल के कब्जे को मान्यता प्रदान की है। इस तरह अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि फिलीस्तीन की सीमा में आने वाले वेस्ट बैंक में इजरायल का अधिग्रहण पूर्ण रूप से कानूनी माना जाएगा। अमेरिका के इस निर्णय का इजराइल ने स्वागत किया है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने इस निर्णय को ऐतिहासिक भूल में सुधार करने के समान बताया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय को अन्य देशों द्वारा भी स्वीकार किया जाना चाहिए।
‘बस्तियों को अवैध मानने से कोई फायदा नहीं‘
सोमवार को अमेरिका के रक्षा मंत्री माइक पोम्पियो ने बयान जारी करते हुए बताया कि अब अमेरिका वेस्ट बैंक में इजराइली बस्तियों को अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के तौर पर नहीं देखता। पोम्पियो ने कहा कि वर्षों से इजराइल और फिलिस्तीन के बीच वेस्ट बैंक के कारण विवाद चलता आया है। इन बस्तियों को बार-बार अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के तौर पर देखने से न तो कोई फायदा हासिल हुआ और न ही दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयास किए गए।
फिलिस्तीन को अमेरिका का फैसला स्वीकार नहीं
हालांकि,अमेरिका के इस निर्णय को फिलिस्तीन द्वारा विश्व के लिए खतरा बताया जा रहा है। फिलिस्तीन की ओर से वेस्ट बैंक के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे सोएब एरेकत का कहना है कि, “अमेरिका का निर्णय वैश्विक स्थिरता, सुरक्षा और शांति के लिए खतरा है। यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून को जंगल के कानून से बदलने जैसा है।” इजराइली राष्ट्रपति के प्रवक्ता नाबिल अबु रुदेइन की ओर से बयान आया है कि अमेरिका इस योग्य नहीं है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों से संबंधित प्रस्तावों को निरस्त कर सके। उसे किसी भी इजरायली कब्जे को कानूनी वैधता देने का भी कोई अधिकार नहीं है।
फिलिस्तीनी नेताओं द्वारा इजराइली बस्तियों को हटाने की मांग काफी समय से की जा रही है। इन नेताओं का कहना है कि अगर वेस्ट बैंक में यहूदी रहेंगे तो उनका फिलिस्तीन को पूरी तरह स्वतंत्र देखने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकेगा। फिलीस्तीन ने कई बार इस मसले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता की गुहान लगाई है।
140 बस्तियों में रहते हैं करीब 6 लाख यहूदी
वेस्ट बैंक में इजराइली बस्तियों का विवाद इजराइल और फिलिस्तीन के बीच विवाद का सबसे बड़ा कारण है। 1967 के तीसरे अरब-इजराइल युद्ध में इजराइल ने अपने तीन पड़ोसी देशों सीरिया, मिस्र और जॉर्डन को हराया था। इसके बाद उसने वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम के बड़े हिस्से पर कब्जा कर 140 बस्तियां बना दी थीं। यहां अभी करीब 6 लाख यहूदी रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इन बस्तियों को मान्यता नहीं दी गयी। हालांकि इन पर इजराइल अपना दावा पेश करता है।
राष्ट्रपति रीगन ने स्वीकार किया था इजराइल का अधिकार
1978 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने वेस्ट बैंक में इजराइली बस्तियाें को अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन के तौर पर देखने का निर्णय लिया था। 1981 में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने कार्टर प्रशासन के निर्णय को अस्वीकार करते हुए कहा था कि इन बस्तियों पर शुरुआत से ही इजराइल के अधिकार को नकारा नहीं जा सकता। इसके बाद अमेरिका ने अपनी निर्णय में परिवर्तन करते हुए इजराइल के कब्जे को अवैध की जगह अनुचित माना था। इसके जरिए अमेरिका ने इजराइल को लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से भी बचाया है।
2016 में उठी थी अवैध कब्जों को खत्म करने की मांग
2016 के अंत में इजराइल के अवैध कब्जों को समाप्त करने की मांग करते हुए संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव लाया गया। उस समय ओबामा प्रशासन ने इजराइल के समर्थन की नीति को बदलते हुए इस प्रस्ताव पर वीटो करने से मना कर दिया। लेकिन जब ट्रम्प ने सत्ता संभाली तो अमेरिका द्वारा इजराइल को दोबारा समर्थन पहुंचाया गया। पोम्पियो के मुताबिक, ट्रम्प प्रशासन ने सभी विवादों को समझने के बाद रीगन के 38 वर्ष पूर्व लिए गए निर्णय को सबसे सही पाया।