वाशिंगटन: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के एजेंडे से जुड़े विषयों पर भारत और अमेरिका ने व्यापक बातचीत की और लोकतंत्र, बहुलवाद व नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के साझा मूल्यों पर मिलकर काम करने पर सहमति जतायी। अमेरिका के साथ बुधवार और गुरुवार को हुई दो दिवसीय वार्ता के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (अंतरराष्ट्रीय संगठन एवं सम्मेलन) विनय कुमार ने तथा अमेरिकी दल का नेतृत्व विदेश विभाग के अंतरराष्ट्रीय संगठन मामलों के ब्यूरो की अधिकारी पामेला डी प्रियोर ने किया। भारत को इस साल के शुरू में मेक्सिको और आयरलैंड के साथ एक जनवरी, 2021 से दो साल के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया था। भारत और अमेरिका के बीच बातचीत में अनेक वैश्विक मुद्दों पर समन्वय कोशिशें, अगले साल सुरक्षा परिषद के सामने आ सकती हैं। वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने गुरुवार को एक बयान में यह जानकारी दी। 2021-22 के दौरान यूएनएससी के अस्थायी सदस्य के रूप में भारत के आगामी कार्यकाल के दौरान दोनों देशों ने बहुत से मूल्यों पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई। इससे चीन की चिन्ताएं बढ़ गयी हैं।
भारत सुरक्षा परिषद समेत संयुक्त राष्ट्र में कुछ सुधारों की वकालत करता रहा है और उसका मानना कि सुरक्षा परिषद की संरचना मौजूदा वास्तविकताओं को परिलक्षित नहीं करती है। उसमें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य समेत कुल 15 सदस्य हैं। स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन हैं। चीन यूएनएससी का एकमात्र स्थायी सदस्य है, जो इसमें भारत के शामिल होने का विरोध करता है। इसके 10 अस्थायी सदस्यों में से आधे सदस्य हर साल दो वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं।
भारत और अमेरिका के एक साथ काम करने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अमेरिका और चीन दोनों ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं, जबकि भारत अस्थायी सदस्य है। लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखा जाए तो सुरक्षा परिषद में जब-जब भारत ने वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ अपने सुझाव और प्रस्ताव पेश किए हैं, चीन हर बार उसमें कोई न कोई रोड़ा अटकाता आया है।
चीन की चिन्ता बढ़ी, भारत-अमेरिका ने सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई
Visited 173 times, 1 visit(s) today