
वाशिंगटन : अमेरिका में साइबर हमले के खुलासे के बाद कई सरकारी एवं निजी कंपनियां सतर्क हो गई हैं और अपने कम्प्यूटर नेटवर्क को सुरक्षित करने में जुट गई हैं। आशंका है कि गोपनीय जानकारी हासिल करने के लिए रूसी हैकरों ने साइबर घुसपैठ की कोशिश की। इससे हुई क्षति का आकलन किया जा रहा है।
हालांकि संभावित खतरे को देखते हुए अमेरिका के आंतरिक सुरक्षा विभाग की साइबर सुरक्षा इकाई ने सोमवार को सभी संघीय एजेंसियों को इससे प्रभावित नेटवर्क प्रबंधन सॉफ्टवेयर को हटाने का निर्देश दिया। हजारों कंपनियां इस दिशा में काम करने वाली हैं।
सुरक्षा में सेंध की आशंका बढ़ी
जिस तरह से वित्त एवं वाणिज्य विभाग और संभवत: अन्य विभागों की साइबर सुरक्षा में सेंध लगाई गई और विभागों की गोपनीय फाइलों तक पहुंच बनाई गई, उससे साइबर घुसपैठ के जरिए गोपनीय सूचना चुराने की आशंका है। एक अमेरिकी अधिकारी ने मामले में रूसी हैकरों का हाथ होने की आशंका जताई है।
कैसे चला साइबर अटैक का पता
घुसपैठ का पता उस वक्त चला जब साइबर सुरक्षा से जुड़ी एक प्रमुख कंपनी फायरआई ने बताया कि उसकी साइबर सुरक्षा में सेंध लगाई गई है और कुछ दूसरे देशों एवं प्रमुख संगठनों की साइबर सुरक्षा में सेंध लगाए जाने की आशंका जताई। हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया कि उसे किस पर संदेह है लेकिन साइबर हमले के तरीकों को देखकर विशेषज्ञों की राय है कि इसमें रूस का हाथ है।